5.5.19

अध्याय 63



अपनी स्थितियों को समझो, और इससे भी अधिक, जिस मार्ग पर तुम्हें चलने की आवश्यकता है उसके बारे में स्पष्ट रहो; यह प्रतीक्षा न करो कि मैं तुम्हें कान से पकड़कर उठाऊं और चीज़ों की ओर इशारा करूं। मैं वह परमेश्वर हूं जो मनुष्य के सबसे भीतरी दिल को देखता है और मुझे तुम्हारी सभी सोच और तुम्हारे सारे विचार पता हैं, और उससे भी अधिक मैं तुम्हारे कार्यों और व्यवहार को समझता हूं। लेकिन क्या तुम्हारे कार्य और व्यवहार में मेरा वादा है? क्या उसमें मेरी इच्छा है? क्या तुमने वास्तव में यह खोजा है? क्या तुमने वास्तव में इस संबंध में कोई भी समय बिताया है?क्या तुमने सही में कोई प्रयास किया है? मैं तुम्हारी आलोचना नहीं कर रहा हूं। तुम लोग बस इस पहलू को अनदेखा करते हो! तुम लोग हमेशा उलझे हुए रहते हो और कुछ भी स्पष्टता से नहीं देख पाते हो। क्या तुम जानते हो कि इसका क्या कारण है? ऐसा इसलिए है क्योंकि तुम लोगों के विचार अस्पष्ट हैं और तुम लोगों की धारणाएं बहुत मज़बूती से स्थापित हैं, और साथ ही तुम मेरी इच्छा के प्रति कोई विचार नहीं करते हो। कुछ लोग कहेंगे: "तुम कैसे कह सकते हो कि हम तुम्हारी इच्छे के प्रति विचारशील नहीं हैं? हम निरंतर तुम्हारी इच्छाओं को समझने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम इसे कभी समझ नहीं पाते हैं, तो हम क्या कर सकते हैं? क्या तुम वास्तव में कह सकते हो कि हम कोई प्रयास नहीं करते?" मैं तुमसे पूछना चाहूंगा: क्या तुम में यह कहने की हिम्मत है कि तुम सही में मेरे प्रति वफ़ादार हो? और किसमें यह कहने की हिम्मत है कि वे पूर्ण निष्ठा के साथ मेरे सामने अपने आप को समर्पित करता है? मुझे डर है कि तुम लोगों में से कोई भी यह नहीं कह सकता है। और मेरे लिए यह कहना ज़रूरी नहीं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि तुम सबके अपने विकल्प हैं, अपनी पसंद हैं, और इससे भी अधिक तुम लोगों के अपने इरादे हैं। कपटी मत बनो! मैं बहुत पहले समझ जाता हूं कि तुम लोग अपने दिल में क्या सोचते हो; क्या मुझे अभी भी इसे स्पष्ट करने की आवश्यकता है? तुम्हें हर पहलू (अपनी सोच और विचार, जो कुछ भी तुम कहते हो, हर शब्द, हर कदम में तुम्हारा प्रत्येक इरादा और प्रेरणा) से अधिक जांच करनी होगी; इस तरह तुम हर पहलू में प्रवेश प्राप्त करोगे, और इससे भी अधिक तुम पूर्ण सत्य के साथ स्वयं को तैयार कर सकोगे।
यदि मैं तुम लोगों को इस तरह नहीं बताऊंगा, तुम फिर भी उलझने में रहोगे, पूरा दिन शारीरिक सुखों की लालसा करोगे, मेरी इच्छा के प्रति विचारशील होने की कोई भी अभिलाषा नहीं रखोगे। मैं लगातार तुम लोगों को बचाने के लिए अपने स्नेहशील हाथ का उपयोग कर रहा हूं, क्या तुम लोग यह जानते हो? क्या तुम लोगों को यह अहसास हो पाया है? मैं तुमसे तेहदिल से प्यार करता हूँ; क्या तुम में हिम्मत है यह कहने की कि तुम मुझसे तहेदिल से प्यार करते हो? अपने आप से पूछो, अपने कार्यों पर मेरा निरीक्षण प्राप्त करने के लिए मेरे सामने क्या तुम वास्तव में आ सकते हो? क्या तुम वाकई मुझे अपने हर आचरण की जांच करने दे सकते हो? मैं कहता हूं कि तुम दूषित हो और तुम अपनी रक्षा करने के लिए कूद पड़ते हो। अब तुम पर मेरा न्याय जारी हो रहा है; अब तुम्हें सत्य को स्वीकार करना चाहिए! मैं जो कुछ बोलता हूं वह सत्य है, और तुम्हारे भीतर की वास्तविक स्थितियों का संकेत देता है। आह, मानव जाति! तुमसे निपटना बहुत मुश्किल है। जब मैं तुम्हारी वास्तविक स्थितियों की ओर इशारा करता हूं, केवल तब तुम लोग अपने दिल में और अपने शब्द से आश्वस्त होते हो। अगर मैं ऐसा नहीं करूं, तो तुम लोग हमेशा अपने पुराने विचारों से चिपके रहोगे और सोचने के अपने तरीकों के साथ लगे रहोगे, यह सोचते हुए कि पृथ्वी पर कोई भी तुमसे अधिक होशियार नहीं है। क्या तुम पाखंडी नहीं हो रहे हो? क्या तुम आत्म-संतुष्टि और आत्म-तुष्टि में लिप्त नहीं हो रहे हो, और अहंकारी और कपटी नहीं हो रहे हो? अब तुम्हें यह पहचानना चाहिए! अपने आप को होशियार या असाधारण मत मानो, बल्कि इसके बजाय तुम्हें अपनी कमियों और अपनी कमज़ोरियों के बारे में लगातार अवगत होना चाहिए। इस तरह, मुझे प्यार करने का तुम्हारा संकल्प कम नहीं होगा, बल्कि दिन-प्रतिदिन मज़बूत होता जाएगा, और तुम्हारी अपनी स्थिति बेहतर होती जाएगी; इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि तुम्हारा जीवन दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ता रहेगा।
जब तुम मेरी इच्छा को समझोगे तो तुम अपने आप को जानोगे, जिससे तुम मुझे बेहतर जान पाओगे और मेरे बारे में अपनी निश्चितता में प्रगति करोगे। इस वर्तमान समय में, यदि कोई मेरे बारे में नब्बे प्रतिशत निश्चितता प्राप्त नहीं कर सकता है, बल्कि इसके बजाय एक मिनट ऊपर और एक मिनट नीचे जाता है, कभी गर्म होता है और कभी ठंडा होता है, तो मैं कहूंगा कि वह व्यक्ति निश्चित रूप से त्याग की वस्तु है। शेष दस प्रतिशत पूरी तरह से मेरी प्रबुद्धता और रोशनी के साथ रहता है, और इस प्रकार मेरे बारे में सौ प्रतिशत निश्चितता प्राप्त करता है। अभी, अर्थात् आज, इस तरह की हैसियत कौन हासिल कर सकता है? मैं निरंतर अपनी इच्छाओं को तुम्हारे लिए प्रकट कर रहा हूं और तुम्हारे भीतर जीवन की भावनाएं निरंतर बह रही हैं, तो तुम आत्मा के अनुसार क्यों नहीं कार्य करते हो? क्या तुम गलतियां करने से डरते हो? तो फिर तुम केवल अभ्यास पर क्यों नहीं ध्यान देते? मैं तुमसे कह रहा हूं, तुम एक या दो बार कोशिश करके मेरी इच्छा को नहीं समझ सकते; एक प्रक्रिया होनी चाहिए। मैंने यह कई बार कहा है, तो तुम इसे अभ्यास में क्यों नहीं लाते हो? क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम अवज्ञाकारी हो रहे हो? तुम सब कुछ एक पल में समाप्त करना चाहते हो, कभी भी कोई प्रयास करने या कोई भी समय बिताने के इच्छुक नहीं हो। तुम कितने मूर्ख हो और कितने अज्ञानी हो!
क्या तुम लोग नहीं जानते हो कि मैं अपने वचनों की हेराफेरी किए बिना निरंतर चीज़ों के बारे में बात करता हूं? तुम क्यों हमेशा अज्ञानी, सुन्न और मंदबुद्धि रहते हो? तुम्हें अपने आप को अधिक जांचना चाहिए, और यदि ऐसी कोई बात है जो तुम्हें समझ नहीं आती है, तो मेरे पास अक्सर आना चाहिए। मैं तुमसे कहता हूं, मैं तुम लोगों से इन अनेक तरीकों से इसलिए बात करता हूं ताकि मैं तुम लोगों की अगुवाई कर सकूं; क्यों, इतने लंबे समय के बाद भी तुम लोगों को फिर भी इसका एहसास नहीं होता है? क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरे वचनों ने तुम लोगों को भ्रमित कर दिया है? या ऐसा इसलिए है कि तुम लोगों ने मेरे वचनों में से प्रत्येक को गंभीरता से नहीं लिया है? जब तुम लोग मेरे वचनों को देखोगे, तो तुम अपने बारे में अच्छा ज्ञान प्राप्त करोगे, और तुम कहते हो कि तुम मेरे ऋणी हो या तुम मेरी इच्छा को समझ नहीं सकते हो। और बाद में? ऐसा लगता है कि इन चीज़ों के साथ तुम्हारे पास करने के लिए कुछ भी नहीं है, मानो तुम ऐसे व्यक्ति हो ही नहीं जो परमेश्वर में विश्वास करता हो। क्या तुम जानकारी को पचाने में बिना कोई समय बिताए उसे केवल निगल नहीं रहे हो? जब तुम मेरे वचनों का आनंद लोगे, तो ऐसा लगेगा मानो तुम घुड़सवारी करते समय फूलों की तरफ़ एक शीघ्र निगाह डाल रहे हो, और मेरे वचनों में मेरी इच्छा को समझने की कोशिश भी नहीं कर रहे हो। लोग ऐसे ही होते हैं: वे हमेशा नम्र दिखना पसंद करते हैं, और इस तरह का व्यक्ति सबसे घृणास्पद है। जब वे दूसरों के साथ साहचर्य के लिए इकट्ठे होते हैं, तो वे हमेशा अपने ज्ञान को अन्य लोगों के साथ साझा करना पसंद करते हैं, जिससे दूसरों को यह लगे कि वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जो मेरे बोझ के प्रति विचारशील हैं, जब कि वास्तव में वे बेवकूफ़ मूर्ख हैं। (वे अपने भाइयों और बहनों के साथ मेरे बारे में सच्ची अंतर्दृष्टि या ज्ञान पर सहचार्य नहीं करते हैं, बल्कि इसके बजाय वे स्वयं का प्रदर्शन करते हैं और दूसरे लोगों के सामने दिखावा करते हैं; मैं इन लोगों से सबसे अधिक घृणा करता हूं, क्योंकि वे मेरा तिरस्कार और अपमान करते हैं।)
मैं अक्सर अपने महान चमत्कारों को तुम लोगों में प्रकट करता हूं—क्या तुम लोग उन्हें देख नहीं पा रहे हो? जिसे वास्तविकता कहते हैं वे उन लोगों द्वारा जी जाती है जो तहेदिल से मुझसे प्यार करते हैं—क्या तुम लोगों ने यह देखा नहीं है? क्या यह सबसे अच्छा प्रमाण नहीं है जिसके माध्यम से तुम लोग मुझे जान सकते हो? क्या यह मेरे लिए बेहतर गवाही नहीं देता है? लेकिन तुम लोग इसे पहचानते नहीं हो। मुझे बताओ, कौन है जो इस गंदी, मैली, शैतान द्वारा दूषित सिद्धांत शून्य पृथ्वी पर वास्तविकता को जी सकता है? क्या सभी लोग दूषित और खाली नहीं हैं? वैसे भी, मेरे वचन अपने चरम पर पहुंच गए हैं; ऐसे कोई वचन नहीं हैं जिन्हें इनसे अधिक आसानी से समझा जा सके। एक पूर्ण रूप से मूर्ख भी मेरे वचनों को पढ़ सकता है और उन्हें समझ सकता है, तो क्या ऐसा नहीं है कि तुम लोगों ने कोई प्रयास नहीं किया है?
Source From: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया-वचन देह में प्रकट होता है

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