28.12.18

"धन्‍य हैं वे, जो मन के दीन हैं" (3) - बचाए जाने और उद्धार के बीच अंतर कैसे करें



"धन्‍य हैं वे, जो मन के दीन हैं" (3) - बचाए जाने और उद्धार के बीच अंतर कैसे करें


धार्मिक संसार में बहुत से लोग हैं जो मानते हैं कि प्रभु में विश्वासी हम लोग अपने पापों से दोषमुक्त होकर उनके अनुग्रह से बचाए जा चुके हैं, और हम क्रूस को धारण करते और बहुत सा अच्‍छा व्यवहार करते हुए, नम्रता और धैर्यपूर्ण व्‍यवहार करते हैं, तो क्‍या इसका मतलब यह है कि हम बदलाव पा चुके है? उनका मानना है कि, अगर हम हमेशा इस तरह से अपने विश्वास पर कायम रह सकते हैं, तो अंत में हम स्वर्गारोहित किए जाएंगे और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर पाएंगे। क्या वास्तव में ये तथ्य ऐसे ही हैं? क्या अच्‍छे व्‍यवहार में हमारा विश्वास ही उद्धार का प्रतिनिधित्व कर सकता है?
बचाए जाने और उद्धार के बीच वास्तव में क्या अंतर है?

चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।


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प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण कदम

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