कार्य और प्रवेश (2)
तुम लोगों का कार्य और प्रवेश काफ़ी ख़राब है; आदमी कार्य को महत्व नहीं देता है और प्रवेश के साथ तो और भी लापरवाह है। मनुष्य इन्हें उन सबकों के रूप में नहीं मानता है जिनसे उसे प्रवेश करना चाहिए; इसलिए, अपने आध्यात्मिक अनुभव में, यथार्थतः मनुष्य केवल सभी व्यक्ति ऊटपटांग भ्रमों को देखता है। कार्य में तुम लोगों के अनुभव के संदर्भ में तुम लोगों से बहुत ज्यादा नहीं कहा जाता है, किन्तु, परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने वाले एक व्यक्ति के रूप में, तुम लोगों को परमेश्वर के लिए कार्य करना सीखना चाहिए ताकि तुम लोग शीघ्र ही परमेश्वर की व्यक्तिगत पसंद के हो सको।