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21.8.19

कलिसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन "परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार" (भाग एक)


कलिसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन "परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार" (भाग एक)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर

कहते हैं: "देहधारण का अर्थ यह है कि परमेश्वर देह में प्रकट होता है, और वह अपनी सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करने आता है। इसलिए, परमेश्वर को देहधारी होने के लिए, उसे सबसे पहले देह, सामान्य मानवता वाली देह अवश्य होना चाहिए; यह, कम से कम, सत्य अवश्य होना चाहिए। वास्तव में, परमेश्वर का देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने वास्तविक सार में देहधारी बन जाता है, एक मनुष्य बन जाता है।

7.8.19

परमेश्वर के कथन "स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है" (अंश)

परमेश्वर के कथन "स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है" (अंश)



सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है, तथा मसीह परमेश्वर के आत्मा के द्वारा धारण किया गया देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है बल्कि आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण परमेश्वरत्व दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती है। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियों को बनाए रखती है, जबकि दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य करती है। चाहे यह उसकी मानवता हो या दिव्यता, दोनों स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पित हैं।

22.7.19

3. तुम सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच अंतर को कैसे बता सकते हो?

सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया-परमेश्वर का देहधारण,प्रभु यीशु की वापसी,परमेश्वर का कार्य,परमेश्वर को जानना

3. तुम सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच अंतर को कैसे बता सकते हो?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर देहधारी हुआ और मसीह कहलाया, और इसलिए वह मसीह, जो लोगों को सत्य दे सकता है, परमेश्वर कहलाता है। इसके बारे में और कुछ भी अधिक कहने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह परमेश्वर के तत्व को स्वयं में धारण किए रहता है, और अपने कार्य में परमेश्वर के स्वभाव और बुद्धि को धारण करता है, और ये चीजें मनुष्य के लिये अप्राप्य हैं। जो अपने आप को मसीह कहते हैं, फिर भी परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकते, वे सभी धोखेबाज़ हैं। मसीह पृथ्वी पर केवल परमेश्वर की अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि वह देह है जिसे धारण करके परमेश्वर लोगों के बीच रहकर कार्य पूर्ण करता है। यह वह देह नहीं है जो किसी भी मनुष्य के द्वारा प्रतिस्थापित कियाजा सके, बल्कि वह देह है, जो परमेश्वर के कार्य को पृथ्वी पर अच्छी तरह से करता है और परमेश्वर के स्वभाव को अभिव्यक्त करता है, और अच्छी प्रकार से परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करता है, और मनुष्य को जीवन प्रदान करता है। कभी न कभी, उन धोखेबाज़ मसीह का पतन होगा, हालांकि वे मसीह होने का दावा करते हैं, किंतु उनमें किंचितमात्र भी मसीह का सार-तत्व नहीं होता। इसलिए मैं कहता हूं कि मसीह की प्रमाणिकता मनुष्य के द्वारा परिभाषित नहीं की जा सकती है, परन्तु स्वयं परमेश्वर के द्वारा उत्तर दिया और निर्णय लिया जा सकता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है" से

9.7.19

5.देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं।

अध्याय 5 तुम्हें परमेश्वर के देहधारण के बारे में सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए

5.देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
देहधारण का महत्व यह है कि वह साधारण, सामान्य मनुष्य परमेश्वर स्वयं के कार्यों को करता है; अर्थात्, कि परमेश्वर अपने दिव्य कार्य को मानवता में करता है और उसके द्वारा शैतान को परास्त करता है। देहधारण का अर्थ है कि परमेश्वर का आत्मा देह बन जाता है, अर्थात्, परमेश्वर देह बन जाता है; जो कार्य वह देह में करता है वह पवित्रात्मा का कार्य होता है, जो देह में प्राप्त होता है, देह द्वारा अभिव्यक्त होता है। परमेश्वर को छोड़कर कोई भी अन्य देहधारी परमेश्वर की सेवकाई को पूर्ण नहीं कर सकता है; अर्थात्, केवल परमेश्वर की देहधारी देह, यह सामान्य मानवता—और कोई अन्य नहीं—दिव्य कार्य को व्यक्त कर सकता है। यदि, उसके पहले आगमन के दौरान, उनतीस वर्ष की उम्र से पहले परमेश्वर में सामान्य मानवता नहीं होती—यदि जैसे ही उसने जन्म लिया था वह अचम्भे कर सकता, यदि जैसे ही उसने बोलना आरम्भ किया वह स्वर्ग की भाषा बोल सकता, यदि जिस क्षण उसने सबसे पहले पृथ्वी पर कदम रखा वह सभी संसारिक मामलों को समझ सकता, हर व्यक्ति के विचारों और इरादों को समझ सकता—तो वह एक सामान्य मनुष्य नहीं कहलाया जा सकता था, और उसकी देह मानवीय देह नहीं कहलायी जा सकती थी।

5.7.19

4.भ्रष्ट मानवजाति को देह धारण किए हुए परमेश्वर के उद्धार की अत्यधिक आवश्यकता है


अध्याय 5 तुम्हें परमेश्वर के देहधारण के बारे में सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए

स-र्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसियाभ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है

4.भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है
(परमेश्वर के वचन का चुना गया अवतरण)
भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है
परमेश्वर देहधारी इसलिए बना क्योंकि उसके कार्य का लक्ष्य शैतान की आत्मा, या कोई अभौतिक चीज़ नहीं, बल्कि मनुष्य है, जो माँस से बना है और जिसे शैतान के द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया है। ऐसा निश्चित रूप से मनुष्य की देह को भ्रष्ट कर देने की वजह से है कि परमेश्वर ने हाड़-माँस के मनुष्य को अपने कार्य का लक्ष्य बनाया है; इसके अतिरिक्त, क्योंकि मनुष्य भ्रष्टता का लक्ष्य है, इसलिए उसने उद्धार के अपने कार्य के समस्त चरणों के दौरान मनुष्य को अपने कार्य का एकमात्र लक्ष्य बनाया है। मनुष्य एक नश्वर प्राणी है, और वह हाड़-माँस तथा लहू से बना है, और एकमात्र परमेश्वर ही है जो मनुष्य को बचा सकता है। इस तरह से, परमेश्वर को अपना कार्य करने के लिए ऐसा देह बनना होगा जो मनुष्य के समान ही गुणों को धारण करता हो, ताकि उसका कार्य बेहतर प्रभावों को प्राप्त कर सके। परमेश्वर को अपने कार्य को ठीक तरह से करने के लिए निश्चित रूप से इसलिए देहधारण करना होगा क्योंकि मनुष्य हाड़-माँस से बना है, और पाप पर विजय पाने में या स्वयं को शरीर से वंचित करने में अक्षम है।

30.6.19

3. देहधारी परमेश्वर के कार्य और पवित्रात्मा के कार्य के बीच में क्या अंतर है?

अध्याय 5 तुम्हें परमेश्वर के देहधारण के बारे में सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए

3. देहधारी परमेश्वर के कार्य और पवित्रात्मा के कार्य के बीच में क्या अंतर है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि देह में किए गए परमेश्वर के कार्य में अनेक अकल्पनीय मुश्किलें शामिल होती हैं, फिर भी वे प्रभाव जिन्हें वह अंततः हासिल करता है वे उन कार्यों से कहीं बढ़कर होते हैं जिन्हें आत्मा के द्वारा सीधे तौर पर किया जाता है। देह के कार्य में काफी कठिनाईयां साथ में जुड़ी होती हैं, और देह आत्मा के समान वैसी ही बड़ी पहचान को धारण नहीं कर सकता है, और आत्मा के समान उन्हीं अलौकिक कार्यों को क्रियान्वित नहीं कर सकता है, और वह आत्मा के समान उसी अधिकार को तो बिलकुल भी धारण नहीं कर सकता है। फिर भी इस साधारण देह के द्वारा किए गए कार्य का मूल-तत्व आत्मा के द्वारा सीधे तौर पर किए गए कार्य से कहीं अधिक श्रेष्ठ है, और यह देह स्वयं ही मनुष्य की समस्त आवश्यकताओं का उत्तर है।

25.6.19

अंत के दिनों में देहधारी परमेश्वर मुख्यत: वचन का कार्य करता है


Hindi Christian Music Video | अंत के दिनों में देहधारी परमेश्वर मुख्यत: वचन का कार्य करता है


अंत के दिनों का देहधारी परमेश्वर अनुग्रह के युग का अंत करता है, वचन को व्यक्त करता है, वचन जो इंसान को, पूर्ण और प्रबुद्ध करता है, वचन जो इंसान के दिल से परमेश्वर की, अज्ञात धारणा दूर करता है। यीशु ने जो किया, वो काम अलग था।

23.6.19

1.देहधारण क्या है? देहधारण का सार क्या है?

अध्याय 5 तुम्हें परमेश्वर के देहधारण के बारे में सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए

1.देहधारण क्या है? देहधारण का सार क्या है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
पहला देहधारी परमेश्वर पृथ्वी पर साढ़े तैंतीस साल रहा, फिर भी उसने अपनी सेवकाई को उन सालों में से केवल साढ़े तीन साल तक ही किया। अपना कार्य करने के दौरान और अपना कार्य आरम्भ करने से पहले, इन दोनों समयों में, वह अपनी सामान्य मानवता को धारण किए हुए था। वह अपनी साधारण मानवता में साढ़े तैंतीस साल तक रहा। पूरे साढ़े तीन साल तक उसने अपने आप को देहधारी परमेश्वर के रूप में प्रकट किया। अपनी सेवकाई का कार्य प्रारम्भ करने से पहले, अपनी दिव्यता का कोई भी चिन्ह प्रकट नहीं करते हुए, वह अपनी साधारण और सामान्य मानवता के साथ प्रकट हुआ, और यह केवल उसकी सेवकाई को औपचारिक तौर पर प्रारम्भ करने के बाद ही हुआ कि उसकी दिव्यता प्रदर्शित की गई थी।

21.5.19

कैसे ढूंढें परमेश्वर के नक़्शे-कदम



New Hindi Christian Song 2019 | "कैसे ढूंढें परमेश्वर के नक़्शे-कदम" (Lyrics)

ढूंढ रहे हैं चूंकि हम, परमेश्वर के नक़्शे-कदम, परमेश्वर की क्या इच्छा है, ढूंढ कर ही रहेंगे हम, ढूंढ कर रहेंगे हम उसके वचन और कथन। क्योंकि जहां प्रभु के नये वचन हैं, वहां प्रभु की वाणी है, जहां प्रभु के नक़्शे-कदम हैं, वहां प्रभु के काम हैं।

8.5.19

"सुसमाचार दूत" क्लिप 2 - मसीह देहधारी परमेश्वर है


Hindi Christian Video "सुसमाचार दूत" क्लिप 2 - मसीह देहधारी परमेश्वर है


हालाँकि पिछले दो हज़ार सालों से, प्रभु के विश्वासी जानते हैं कि प्रभु यीशु ही मसीह है, देहधारी परमेश्वर है, मगर कोई भी सत्य के इन रहस्यों को नहीं समझ पाया कि परमेश्वर का देहधारण सचमुच है क्या और हमें देहधारी परमेश्वर को कैसे जानना चाहिये। इसलिये, न्याय का कार्य करने के लिये आने के इरादे से जब अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने देहधारण किया, तो कुछ लोगों ने उसके साथ ऐसा बर्ताव किया जैसे कि वह कोई सामान्य इंसान हो और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को नकार दिया। इस तरह, इस बात की प्रबल संभावना है कि लोग परमेश्वर के अंत के दिनों के उद्धार को गँवा दें।

प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण कदम

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