अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II परमेश्वर का धर्मी स्वभाव" (अंश I)
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "मानवजाति के प्रति सृष्टिकर्ता की सच्ची भावनाएं लोग अकसर कहते हैं कि परमेश्वर को जानना सरल बात नहीं है। फिर भी, मैं कहता हूं कि परमेश्वर को जानना बिलकुल भी कठिन विषय नहीं है, क्योंकि वह बार बार मनुष्य को अपने कामों का गवाह बनने देता है। परमेश्वर ने कभी भी मनुष्य के साथ संवाद करना बंद नहीं किया है; उसने कभी भी मनुष्य से अपने आपको गुप्त नहीं रखा है, न ही उसने स्वयं को छिपाया है। उसके विचारों, उसके उपायों, उसके वचनों और उसके कार्यों को मानवजाति के लिए पूरी तरह से प्रकाशित किया गया है। इसलिए, जब तक मनुष्य परमेश्वर को जानने की कामना करता है, वह सभी प्रकार के माध्यमों और पद्धतियों के जरिए उन्हें समझ और जान सकता है। मनुष्य क्यों आँख बंद करके सोचता है कि परमेश्वर ने जानबूझकर उससे परहेज किया है, कि परमेश्वर ने जानबूझकर स्वयं को मानवता से छिपाया है, कि परमेश्वर का मनुष्य को उन्हें समझने या जानने देने का कोई इरादा नहीं है, उसका कारण यह है कि मनुष्य नहीं जानता है कि परमेश्वर कौन है, और न ही वह परमेश्वर को समझने की इच्छा करता है; उससे भी बढ़कर, वह सृष्टिकर्ता के विचारों, वचनों या कार्यों की परवाह नहीं करता है...।