24.8.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II परमेश्वर का धर्मी स्वभाव" (अंश I)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II परमेश्वर का धर्मी स्वभाव" (अंश I)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "मानवजाति के प्रति सृष्टिकर्ता की सच्ची भावनाएं लोग अकसर कहते हैं कि परमेश्वर को जानना सरल बात नहीं है। फिर भी, मैं कहता हूं कि परमेश्वर को जानना बिलकुल भी कठिन विषय नहीं है, क्योंकि वह बार बार मनुष्य को अपने कामों का गवाह बनने देता है। परमेश्वर ने कभी भी मनुष्य के साथ संवाद करना बंद नहीं किया है; उसने कभी भी मनुष्य से अपने आपको गुप्त नहीं रखा है, न ही उसने स्वयं को छिपाया है। उसके विचारों, उसके उपायों, उसके वचनों और उसके कार्यों को मानवजाति के लिए पूरी तरह से प्रकाशित किया गया है। इसलिए, जब तक मनुष्य परमेश्वर को जानने की कामना करता है, वह सभी प्रकार के माध्यमों और पद्धतियों के जरिए उन्हें समझ और जान सकता है। मनुष्य क्यों आँख बंद करके सोचता है कि परमेश्वर ने जानबूझकर उससे परहेज किया है, कि परमेश्वर ने जानबूझकर स्वयं को मानवता से छिपाया है, कि परमेश्वर का मनुष्य को उन्हें समझने या जानने देने का कोई इरादा नहीं है, उसका कारण यह है कि मनुष्य नहीं जानता है कि परमेश्वर कौन है, और न ही वह परमेश्वर को समझने की इच्छा करता है; उससे भी बढ़कर, वह सृष्टिकर्ता के विचारों, वचनों या कार्यों की परवाह नहीं करता है...।

23.8.19

Hindi Christian Worship Song | सम्राट की तरह शासन करता है सर्वशक्तिमान परमेश्वर


Hindi Christian Worship Song | सम्राट की तरह शासन करता है सर्वशक्तिमान परमेश्वर


कितना सुंदर! उसके कदम हैं ज़ैतून के पर्वत पर। सुनो, मिलकर गाते ऊँचे सुर में हम पहरेदार, लौट आया सिय्योन में परमेश्वर। देख चुके हम यरूशलेम का सूनापन! मिलकर गाएँ, गाएँ ख़ुशी से हम अब, परमेश्वर ने हमें आराम दिया और यरूशलेम का उद्धार किया। दिखलाता पवित्र भुजा अपनी परमेश्वर सकल देशों के सम्मुख, सच में जैसा है वैसा दिखता परमेश्वर। देखते परमेश्वर द्वारा उद्धार लोग सारे धरती पर।

22.8.19

3. परमेश्वर पर विश्वास में, तुम्हें परमेश्वर के साथ सामान्य सम्बन्ध स्थापित करना चाहिए।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर में विश्वास करने में तुम्हें कम से कम परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध रखने के विषय का समाधान करना चाहिए। परमेश्वर के साथ सामान्य संबंध के बिना परमेश्वर में विश्वास करने का महत्व खो जाता है। परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध को स्थापित करना परमेश्वर की उपस्थिति में अपने हृदय को शांत करने के द्वारा ही किया जा सकता है। परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध को स्थापित करने का अर्थ है परमेश्वर के किसी भी कार्य पर संदेह न करना या उसका इनकार न करना, बल्कि उसके प्रति समर्पित रहना, और इससे बढ़कर इसका अर्थ है परमेश्वर की उपस्थिति में सही इरादों को रखना, स्वयं के बारे में न सोचते हुए हमेशा परमेश्वर के परिवार की बातों को सबसे महत्वपूर्ण विषय के रूप में सोचना, फिर चाहे तुम कुछ भी क्यों न कर रहे हो, परमेश्वर के अवलोकन को स्वीकार करना और परमेश्वर के प्रबंधनों के प्रति समर्पण करना। परमेश्वर की उपस्थिति में तुम जब भी कुछ करते हो तो तुम अपने हृदय को शांत कर सकते हो; यदि तुम परमेश्वर की इच्छा को नहीं भी समझते, फिर भी तुम्हें अपनी सर्वोत्तम योग्यता के साथ अपने कर्त्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए।

21.8.19

कलिसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन "परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार" (भाग एक)


कलिसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन "परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार" (भाग एक)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर

कहते हैं: "देहधारण का अर्थ यह है कि परमेश्वर देह में प्रकट होता है, और वह अपनी सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करने आता है। इसलिए, परमेश्वर को देहधारी होने के लिए, उसे सबसे पहले देह, सामान्य मानवता वाली देह अवश्य होना चाहिए; यह, कम से कम, सत्य अवश्य होना चाहिए। वास्तव में, परमेश्वर का देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने वास्तविक सार में देहधारी बन जाता है, एक मनुष्य बन जाता है।

20.8.19

"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" क्लिप 7 - परमेश्वर इन्सान को शैतान से कैसे बचाता है


"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" क्लिप 7 - परमेश्वर इन्सान को शैतान से कैसे बचाता है


बाइबल में कहा गया है, “क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए...” (1 पतरस 4:17)। (© BSI) अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्य को शुद्ध करके बचाने वाले सभी सत्य व्यक्त करते हैं, और वे हमें अपना धर्मी, प्रतापी, और अपमानित न किया जा सकनेवाला स्वभाव प्रदर्शित करते हैं। परमेश्वर का अंत के दिनों का न्याय-कार्य मनुष्य को बचाने के लिए किया जाता है, ताकि लोग शैतान के दुष्प्रभावों को तोड़ सकें और सही मायनों में परमेश्वर की शरण में आ सकें।

19.8.19

Hindi Christian Video "तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" क्लिप 6


Hindi Christian Video "तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" क्लिप 6


संगठित धर्म में ऐसे बहुतेरे लोग हैं, जो यह मानते हैं कि, पादरी और एल्डर्स धार्मिक दुनिया के सत्ताधारी हैं और पाखंडी फरीसियों के रास्ते पर चलते हैं, अत: हालांकि वे पादरियों और एल्डर्स को स्वीकार कर उनका अनुसरण करते हैं, तो भी उनका विश्‍वास प्रभु यीशु में है, पादरियों और एल्डर्स में नहीं। ऐसे में फिर ऐसा कैसे कहा जा सकता है कि वे जिस रास्ते पर चलते हैं, वह फरीसियों का है? क्या संगठित धर्म में रहकर परमेश्वर में विश्वास करने वाले को वाकई बचाया नहीं जा सकता?

18.8.19

2. सच्चे मार्ग की खोज में तुम्हें तर्कशक्ति से सम्पन्न अवश्य होना चाहिए




परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर और मनुष्य को बराबर नहीं कहा जा सकता। उसका सार और उसका कार्य मनुष्य के लिये सर्वाधिक अथाह और समझ से परे है। यदि परमेश्वर व्यक्तिगत रूप में अपना कार्य न करे, और मनुष्यों के संसार में अपने वचन न कहें, तो मनुष्य कभी भी परमेश्वर की इच्छा को समझ नहीं सकता है, और इसलिए, यहाँ तक कि जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भी परमेश्वर को समर्पित कर दिया है, वे भी उसके अनुमोदन को पाने में सक्षम नहीं हैं। परमेश्वर के कार्य के बिना, चाहे मनुष्य कितना भी अच्छा करे, उसका कोई मूल्य नहीं होगा, क्योंकि परमेश्वर के विचार मनुष्य के विचार से सदैव ऊँचे होंगे, और परमेश्वर की बुद्धि मनुष्यों के लिये अपरिमेय है। और इसीलिये मैं कहता हूँ कि जिन्होंने परमेश्वर और उसके काम की "वास्तविक प्रकृति का पता लगाया" है कि प्रभावहीन है, वे अभिमानी और अज्ञानी हैं। मनुष्य को परमेश्वर के कार्य को परिभाषित नहीं करना चाहिए; साथ ही, मनुष्य परमेश्वर के कार्य को परिभाषित नहीं कर सकता है।

प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण कदम

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