30.5.20

प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण कदम

<p><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">वू वेन, चीन</span></span></span></p>

<h2 dir="ltr" style="text-align: center;"><strong><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">हमारी धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहना</span></span></span></strong></h2>

<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">जैसा कि हम सभी जानते हैं, व्यवस्था के युग में, यहूदी मुख्य याजक, शास्त्री और फरीसी <strong><a href="https://hi.bible-nl.org/what-is-Christ.html" target="_blank">मसीहा </a></strong>के आगमन के लिए उत्सुक थे, लेकिन साथ ही, उन्होंने उनका विरोध करने और उनकी निंदा करने की पूरी कोशिश की। उन्होंने भविष्यवाणियों के बारे में बहुत सारे भ्रम पाल रखे थे, उनका विचार था कि जब उद्धारकर्ता आए तो उसे मसीहा कहा जाना चाहिए, कि उसे शाही महल में या एक महान परिवार में या कम से कम एक प्रतिष्ठित परिवार में पैदा होना चाहिए। फिर भी जब प्रभु यीशु आए, तो उन्हें मसीहा नहीं कहा गया और उनका जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, जो कि पूरी तरह से उनकी धारणाओं और कल्पनाओं के खिलाफ था। तो उन्होंने प्रभु यीशु की निंदा की और और उनका तिरस्कार किया। वे प्रभु यीशु का विरोध करने और उन्हें नुकसान पहुँचाने के लिए अपने इस गलत विचार पर कायम रहे कि &quot;जब तक आपको मसीहा नहीं कहा जाता है, आप मसीह नहीं हैं&quot;, उनके पास एक ऐसा दिल नहीं था जो सत्य की तलाश करता है। अंत में, न केवल वे मसीहा का स्वागत करने में विफल रहे, बल्कि उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। उन्होंने एक राक्षसी पाप किया और पूरे राष्ट्र को विनाश के अधीन कर दिया गया।</span></span></span></p>

<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">यशायाह 55:8-9 कहते हैं: &quot;<strong>मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।</strong>&quot; यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि कोई भी व्यक्ति परमेश्वर के कार्य की थाह नहीं पा सकता है, इसलिए हम अपने मन की कल्पनाओं के अनुसार परमेश्वर के काम को नहीं चित्रित नहीं कर सकते। ईसाई के रूप में, हम परमेश्वर की जल्द वापसी के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। उनका स्वागत करने के लिए, यहूदियों की गलती को दोहराने से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?</span></span></span></p>

<h2 dir="ltr" style="text-align: center;"><strong><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक समीक्षात्मक कदम</span></span></span></strong></h2>

<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की: &quot;<strong>मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा&quot; (यूहन्ना 16:12-13)। &quot;यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा</strong>&quot; (यूहन्ना 12:47-48)। और प्रकाशितवाक्य ने भविष्यवाणी की &quot;<strong>जिसके कान हों, वह सुन ले कि पवित्र आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्&zwj;वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूँगा&quot; (प्रकाशितवाक्य 2:7), तथा &quot;देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ</strong>&quot; (प्रकाशितवाक्य 3:20)। इन पदों से, हम देख सकते हैं कि जब प्रभु लौटकर आएँगे, तो वे मानवता का न्याय और शुद्धिकरण करने के लिए काम का एक चरण करते हुए सत्य को व्यक्त करेंगे। तो, परमेश्वर की वापसी का स्वागत करने की मुख्य बात यह है कि हमें परमेश्वर की वाणी को सुनने पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें उनके वचन और काम के माध्यम से जानने की कोशिश करनी चाहिए, बुद्धिमान कुंवारियोंकी तरह, जो दूल्हे का अभिवादन करने गयीं जब उन्होंने उनकी वाणी सुनी।</span></span></span></p>

<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhp0fDMeaP25gJX_lzGOd78juhqX-2nvf1urkaJEQJYDQwO1hHtExeWdHU6XlrXurIfYSUj8T5uS6Vo8wZ2PYs7wFYJjAIBXFaGY8_v1g-EkGtRpR5U57-aGfIQ4Q7-RsgVooJqyzy6tZFZ/s1600/46++++010-%25E4%25B8%25BB%25E8%2580%25B6%25E7%25A8%25A3%25E4%25B8%258E%25E9%2597%25A8%25E5%25BE%2592%25E7%2599%25BE%25E5%25A7%2593%25E5%259C%25A8%25E4%25B8%2580%25E8%25B5%25B71-ZB-20190316.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="562" data-original-width="1000" height="224" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhp0fDMeaP25gJX_lzGOd78juhqX-2nvf1urkaJEQJYDQwO1hHtExeWdHU6XlrXurIfYSUj8T5uS6Vo8wZ2PYs7wFYJjAIBXFaGY8_v1g-EkGtRpR5U57-aGfIQ4Q7-RsgVooJqyzy6tZFZ/s400/46++++010-%25E4%25B8%25BB%25E8%2580%25B6%25E7%25A8%25A3%25E4%25B8%258E%25E9%2597%25A8%25E5%25BE%2592%25E7%2599%25BE%25E5%25A7%2593%25E5%259C%25A8%25E4%25B8%2580%25E8%25B5%25B71-ZB-20190316.jpg" width="400" /></a></div>

<p style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">यह सोचकर कि जब प्रभु यीशु अपना कार्य करने के लिए आए, तो उन्होंने पतरस, यूहन्ना, मत्ती, मरकुस और अन्य लोगों को बुलाया। हालाँकि उन्होंने नहीं पहचाना कि प्रभु यीशु मसीहा हैं, लेकिन क्योंकि उन्होंने पाया कि उनके उपदेशों में सच्चाई है, वे प्रभु का पालन करने और उनका अनुसरण करने में सक्षम हो पाए, बजाय इसके कि वे अपनी आँखों से देखकर या दूसरों की बातें सुनकर उन्हें आंकें। वैसे ही नतनएल भी, जो तुरंत आश्वस्त हो गया था और उसने विश्वास कर लिया था कि प्रभु यीशु ही एक आने वाला था और जब उसने प्रभु यीशु को अपने दिल के विचारों को बोलते सुना तो उसने उनका अनुसरण किया। साथ ही, बहुत से लोगों ने प्रभु यीशु के उपदेश और सत्य को सुनने के बाद प्रभु यीशु का अनुसरण किया, जैसे कि ये पद &quot;<strong>मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है</strong>&quot; (मत्ती 4:17), &quot;<strong>तू परमेश्&zwj;वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। ये ही दो आज्ञाएँ सारी व्यवस्था एवं भविष्यद्वक्ताओं का आधार है</strong>&quot; (मत्ती 22:37-40), इत्यादि, और जब उन्होंने प्रभु यीशु के कार्यों को देख लिया: पाँच हज़ार लोगों को पाँच रोटियों और दो मछलियों से खिलाना, हवा और समुद्र को शांत करना, एक शब्द से मृत को फिर से जीवित करना, आदि। उपर्युक्त बातों से, हम देख सकते हैं कि ये लोग अपनी धारणाओं और कल्पनाओं पर आश्रित नहीं थे, और फरीसियों द्वारा विवश नहीं थे। इसके बजाय, उनके कथन और काम के माध्यम से, उन्होंने पहचाना कि प्रभु यीशु आने वाले मसीहा थे और इस तरह उनका अनुसरण किया। इसलिए उन्होंने प्रभु का स्वागत किया, उनकी नियति अन्य यहूदियों से बहुत अलग थी।</span></span></span></p>

<p style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">इसलिए, यदि हम अंतिम दिनों में प्रभु की वापसी का स्वागत करना चाहते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी धारणाओं और कल्पनाओं को जाने दें और परमेश्वर की आवाज को सुनना सीखें। जब हम किसी को गवाही देते सुनते हैं कि प्रभु काम करने और सच्चाई को व्यक्त करने के लिए प्रकट हुआ है, तो हमें विनम्रतापूर्वक यह देखने की तलाश करनी चाहिए कि क्या इस मार्ग में सच्चाई है और अगर यह परमेश्वर की आवाज़ है। हमें अपनी इच्छा के अनुसार प्रभु को हमारे सामने प्रकट होने के लिए नहीं कहना चाहिए, अन्यथा यह पूरी तरह से अनुचित है और हम प्रभु की वापसी का स्वागत करने के हमारे अवसर को खो देने के लिये उपयुक्त होंगे।</span></span></span></p>

<p dir="ltr" style="text-align: right;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए</span></span></span></p>

<p style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">और पढ़ें:बहुत से भाई और बहन मानते हैं कि प्रभु बादलों में आएगा। लेकिन बाइबल भी भविष्यवाणी करता है कि प्रभु एक चोर के समान आएगा। प्रभु आखिए आएगा कैसे? <strong><a href="https://hi.bible-nl.org/prophecy-of-the-Lord-coming.html" target="_blank">यीशु मसीह की भविष्यवाणी</a></strong> कैसे पूरी होगी? इस लेख में हम आपके साथ इसे खोजने वाले हैं।</span></span></span></p>

<p dir="ltr"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">हमारे &ldquo;<strong><a href="https://hi.bible-nl.org/Lord-Jesus-return.html" target="_blank">बाइबल की भविष्यवाणी</a></strong>&rdquo; पेज पर, इससे आप समझेंगे कि भविष्यवाणियों को किस तरह समझा जाए? साथ ही, प्रभु यीशु की वापसी का स्वागत करने का मौका पाएं।</span></span></span></p>

30.8.19

मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है: परमेश्वर का अधिकार" (उद्धरण, मंच पर सस्वर पाठ)


मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है: परमेश्वर का अधिकार" (उद्धरण, मंच पर सस्वर पाठ)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "परमेश्वर का अधिकार हर जगह, हर घण्टे, और हर एक क्षण है। यदि स्वर्ग और पृथ्वी समाप्त जाएँ, तब भी उसका अधिकार कभी समाप्त नहीं होगा, क्योंकि वह स्वयं परमेश्वर है, वह अद्वितीय अधिकार धारण करता है, और उसका अधिकार लोगों, घटनाओं या चीज़ों के द्वारा, अंतरीक्ष के द्वारा या भूगोल के द्वारा प्रतिबन्धित या सीमित नहीं होता है।

29.8.19

5. परमेश्वर पर विश्वास केवल शान्ति और आशीषों को खोजने के लिए ही नहीं होना चाहिए।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज, आपको सही रास्ते पर नियत अवश्य होना चाहिए क्योंकि तुम व्यावहारिक परमेश्वर में विश्वास करते हो। परमेश्वर में विश्वास करके, तुम्हें सिर्फ़ आशीषों को ही नहीं खोजना चाहिए, बल्कि परमेश्वर को प्रेम करने और परमेश्वर को जानने की कोशिश करनी चाहिए। इस प्रबुद्धता और तुम्हारी स्वयं की खोज के माध्यम से, तुम उसके वचन को खा और पी सकते हो, परमेश्वर के बारे में एक सच्ची समझ को विकसित कर सकते हो, और परमेश्वर के लिए एक सच्चा प्रेम रख सकते हो जो तुम्हारे हृदय से आता है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर के लिए तुम्हारा प्रेम सबसे अधिक सच्चा है, इतना कि उसके लिए तुम्हारे प्रेम को कोई नष्ट नहीं कर सकता है या उसके लिए तुम्हारे प्रेम के मार्ग में कोई खड़ा नहीं हो सकता है।

28.8.19

Hindi Christian Movie Trailer | इंतज़ार था जिन ख़ुशियों का | A True Christian Story


Hindi Christian Movie Trailer | इंतज़ार था जिन ख़ुशियों का | A True Christian Story


डिंग रुइलिन और उसका पति एक कारोबार शुरू करने और उसे चलाने के लिये दिन-रात मेहनत करते हैं ताकि पैसा कमाकर, एक अच्छी ज़िंदगी जी सकें। लेकिन सीसीपी सरकार के शोषण और बुरे बर्ताव के चलते, वे कर्ज़ में बुरी तरह डूब जाते हैं। विदेश जाकर काम करने के अलावा, उनके पास और कोई विकल्प नहीं बचता। अधिक पैसा कमाने की गरज़ से, डिंग रुइलिन दो-दो काम पकड़ लेती है। काम के भारी बोझ और आस-पास के लोगों की बेरुख़ी से, उसे पीड़ा और पैसा कमाने की बेबसी का एहसास होता है। अपनी पीड़ा और उलझन के मध्य, डिंग रुइलिन की मुलाकात अपनी हाई स्कूल की एक सहपाठी लिन झिशिन से हो जाती है। बातचीत के दौरान डिंग रुइलिन को पता चलता है कि परमेश्वर में आस्था रखने की वजह से लिन झिशिन में बहुत-सी बातों की समझ आ गई है। परमेश्वर की उपस्थिति में, उसे आध्यात्मिक शांति और आनंद प्राप्त हो रहा है।

27.8.19

Hindi Christian Song 2019 | "अंतिम दिनों का मसीह लाता है राज्य का युग"


Hindi Christian Song 2019 | "अंतिम दिनों का मसीह लाता है राज्य का युग"

जब मानव जगत में यीशु आया, व्यवस्था के युग को समाप्त कर, अनुग्रह का युग लाया। बना फिर देहधारी अंतिम दिनों में परमेश्वर। अनुग्रह के युग को समाप्त कर, राज्य का युग लाया। परमेश्वर का दूजा देहधारण है जिन्हें स्वीकार वे राज्य के युग में ले जाये जायेंगे, और उसकी रहनुमाई पायेंगे।

26.8.19

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के कथन - पच्चीसवाँ कथन"


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के कथन - पच्चीसवाँ कथन"


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "मेरी नज़रों में, मनुष्य सभी चीज़ों का शासक है। मैंने उसे कम मात्रा में अधिकार नहीं दिया है, उसे पृथ्वी पर सभी चीज़ों—पहाड़ो के ऊपर की घास, जंगलों के बीच जानवरों, और जल की मछलियों—का प्रबन्ध करने की अनुमति दी है। फिर भी इसकी वजह से खुश होने के बजाए, मनुष्य चिंता से व्याकुल है। उसका पूरा जीवन एक मनस्ताप का, और वह यहाँ-वहाँ भागने का, और खालीपन में कुछ मौज मस्ती जोड़ने का है, और उसके पूरे जीवन में कोई नए अविष्कार और नई रचनाएँ नहीं हैं। कोई भी अपने आप को इस खोखले जीवन से छुड़ाने में समर्थ नहीं है, किसी ने कभी भी सार्थक जीवन की खोज नहीं की है, और किसी ने कभी भी एक वास्तविक जीवन का अनुभव नहीं किया है। यद्यपि आज सभी लोग मेरे चमकते हुए प्रकाश के नीचे जीवन बिताते हैं, फिर भी वे स्वर्ग के जीवन के बारे में कुछ नहीं जानते हैं।

25.8.19

4. पवित्र शिष्टता जो परमेश्वर के विश्वासियों को धारण करनी चाहिए

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने से पहले, मनुष्य स्वभाविक रूप से परमेश्वर का अनुसरण करता था और उसके वचनों का आज्ञापालन करता था। वह स्वभाविक रूप से सही समझ और सद्विवेक का था, और सामान्य मानवता का था। शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने के बाद, उसकी मूल समझ, सद्विवेक, और मानवता मंदी हो गईं और शैतान के द्वारा खराब हो गईं। इस प्रकार, उसने परमेश्वर के प्रति अपनी आज्ञाकारिता और प्रेम को खो दिया है। मनुष्य की समझ धर्मपथ से हट गई है, उसकी समझ एक जानवर के समान हो गई है, और परमेश्वर के प्रति उसकी विद्रोहशीलता और भी अधिक लगातार और गंभीर हो गई है। अभी तक मनुष्य इसे न तो जानता है और न ही पहचानता है, और केवल आँख बंद करके विरोध और विद्रोह करता है।… "सामान्य समझ" आज्ञापालन और परमेश्वर के प्रति विश्वास योग्य बने रहने को, परमेश्वर के प्रति तड़प, परमेश्वर के प्रति स्पष्ट, और परमेश्वर के प्रति सद्सद्विवेक होने को संदर्भित करती है। यह परमेश्वर के प्रति एक हृदय और मन होने को संदर्भित करती है, और जानबूझकर परमेश्वर का विरोध करने को नहीं। वे जो धर्मपथ से हटनेवाली समझ के हैं वे ऐसे नहीं हैं। मनुष्य शैतान के द्वारा भ्रष्ट किया गया था इसिलिए, उसने परमेश्वर के बारे में धारणाओं का उत्पादन किया है, और परमेश्वर के लिए उसके पास निष्ठा या चाहत नहीं है, और परमेश्वर के प्रति कुछ भी कहने के लिए सद्विवेक नहीं है।

प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण कदम

<p><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#f...

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