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28.4.19

सुसमाचार दूत


Hindi Christian Movie | सुसमाचार दूत | Preach the Gospel and Make Disciples of All Nations


ईसाई चेन यिशिन कई वर्षों से प्रभु में विश्वास करती रही है, और उसने अंत के दिनों में प्रभु यीशुसर्वशक्तिमान परमेश्वर की वापसी का स्वागत करने का सौभाग्य पाया है! उसे इंसान को बचाने की सर्वशक्तिमान परमेश्वर की उत्कट इच्छा समझ में आ गई और यह भी समझ में आ गया कि एक सृजित प्राणी का लक्ष्य और दायित्व क्या होना चाहिये। इसलिए उसने सुसमाचार का प्रचार और अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की गवाही देनी आरंभ कर दी। इस कार्य के लिये वह शहर-शहर, प्रांत-प्रांत घूमने लगी। इस दौरान उसे धार्मिक मंडलियों के दमन और अस्वीकृति का भी सामना करना पड़ा।

27.10.18

"स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है"



Maseeh ke kathan "स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है"


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है, तथा मसीह परमेश्वर के आत्मा के द्वारा धारण किया गया देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है बल्कि आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण परमेश्वरत्व दोनों हैं।

18.10.18

"केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है" (उद्धरण, मंच संस्करण)



सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया--सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जीवन का मार्ग कोई साधारण चीज़ नहीं है जो चाहे कोई भी प्राप्त कर ले, न ही इसे सभी के द्वारा आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।


"केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है" (उद्धरण, मंच संस्करण)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जीवन का मार्ग कोई साधारण चीज़ नहीं है जो चाहे कोई भी प्राप्त कर ले, न ही इसे सभी के द्वारा आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। यह इसलिए कि जीवन केवल परमेश्वर से ही आता है, कहने का अर्थ है कि केवल स्वयं परमेश्वर ही जीवन के तत्व का अधिकारी है, स्वयं परमेश्वर के बिना जीवन का मार्ग नहीं है, और इसलिए केवल परमेश्वर ही जीवन का स्रोत है, और जीवन के जल का सदा बहने वाला सोता है।

15.10.18

"भक्ति का भेद - भाग 2" (3) - मसीह की सामान्य मानवता और भ्रष्ट मानवजाति की मानवता के बीच अंतर




"भक्ति का भेद - भाग 2" (3) - मसीह की सामान्य मानवता और भ्रष्ट मानवजाति की मानवता के बीच अंतर


परमेश्वर मनुष्य को बचाने के लिए देहधारण करते हैं और, बाहर से, देहधारी परमेश्वर एक साधारण व्यक्ति की तरह दिखाई देते हैं। लेकिन क्या आप देहधारी परमेश्वर की सामान्य मानवता और भ्रष्ट मानवजाति की मानवता के बीच मूलभूत अंतर को जानते हैं? सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर के आत्मा द्वारा धारण किया हुआ देह परमेश्वर का अपना देह है। परमेश्वर का आत्मा सर्वोच्च है; वह सर्वशक्तिमान, पवित्र और धर्मी है।

3.10.18

"भक्ति का भेद - भाग 2" (2) - देहधारी परमेश्वर को कैसे समझें




Hindi Christian Movie clip "भक्ति का भेद - भाग 2" (2) - देहधारी परमेश्वर को कैसे समझें


अंत के दिनों में, परमेश्वर मनुष्य को बचाने का कार्य करने के लिए देहधारी हुए हैं। लेकिन चूंकि हम देहधारण की सच्चाई को नहीं समझते हैं, हम देहधारी परमेश्वर को एक साधारण व्यक्ति की तरह मानते हैं, हम परमेश्वर की वाणी को पहचान नहीं सकते और हम तो यह भी नहीं जानते कि प्रभु का स्वागत कैसे किया जाए — यहाँ तक कि हम परमेश्वर का अनादर और उनकी निंदा करने के लिए धार्मिक दुनिया और सत्ताधारी ताकतों का अनुसरण करने लगते हैं — परिस्थिति उससे अलग नहीं है जब परमेश्वर ने अनुग्रह के युग का अपना कार्य करने के लिए प्रभु यीशु के रूप में देहधारण किया था।

2.10.18

"भक्ति का भेद - भाग 2" (1) - जब प्रभु दुबारा आयेंगे तो मनुष्य के सामने कैसे प्रकट होंगे


"भक्ति का भेद - भाग 2" (1) - जब प्रभु दुबारा आयेंगे तो मनुष्य के सामने कैसे प्रकट होंगे

प्रभु यीशु के पुनर्जीवित होने और स्वर्ग में आरोहित होने के बाद, सदियों से हम विश्वासी उद्धारक यीशु की वापसी के लिए व्यग्रता से तड़प रहे हैं। ज्यादातर लोगों का मानना है कि प्रभु के लौटने पर पुनर्जीवित यीशु का आध्यात्मिक शरीर ही हमारे सामने प्रकट होगा। लेकिन परमेश्वर अंत के दिनों में मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारण करके लोगों के बीच क्यों प्रकट हुए हैं?

30.9.18

कलिसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन "परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार" (भाग दो)




कलिसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन "परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार" (भाग दो)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "देहधारण का अर्थ यह है कि परमेश्वर देह में प्रकट होता है, और वह अपनी सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करने आता है। इसलिए, परमेश्वर को देहधारी होने के लिए, उसे सबसे पहले देह, सामान्य मानवता वाली देह अवश्य होना चाहिए; यह, कम से कम, सत्य अवश्य होना चाहिए। वास्तव में, परमेश्वर का देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने वास्तविक सार में देहधारी बन जाता है, एक मनुष्य बन जाता है।

7.9.18

मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है (III) परमेश्वर का अधिकार (II)"




मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है (III) परमेश्वर का अधिकार (II)" 


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर का अधिकार हर जगह, हर घण्टे, और हर एक क्षण है। स्वर्ग और पृथ्वी भले ही टल जाएँ, उसका अधिकार कभी नहीं टलता, क्योंकि वह स्वयं परमेश्वर है, वह अद्वितीय अधिकार धारण करता है, और उसके अधिकार को लोगों, घटनाओं या चीज़ों के द्वारा, एवं अंतरीक्ष के द्वारा या भूगोल के द्वारा प्रतिबन्धित या सीमित नहीं किया जाता है।

11.7.18

वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं

परमेश्वर को जानना-सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन-अंतिम दिनों के मसीह के कथन
वे जो मसीह से असंगत हैं निश्चय ही परमेश्वर के विरोधी हैं
सभी मनुष्य यीशु के सच्चे रूप को देखने और उसके साथ रहने की इच्छा करते हैं। मैं विश्वास करता हूँ कि भाईयों या बहनों में से एक भी ऐसा नहीं है जो कहेगा कि वह यीशु को देखने या उसके साथ रहने की इच्छा नहीं करता है। यीशु को देखने से पहले, अर्थात्, इस से पहले कि तुम लोग देहधारी परमेश्वर को देखो, तुम्हारे भीतर अनेक विचार होंगे, उदाहरण के लिए, यीशु के रूप के बारे में, उसके बोलने का तरीका, उसके जीवन का तरीका, और इत्यादि।

18.6.18

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, परमेश्वर को जानना, परमेश्वर, यीशु, मसीह

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही 
परमेश्वर को जानने का मार्ग है

मानवजाति के प्रबंधन करने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है। इन चरणों में संसार की रचना का कार्य समाविष्ट नहीं है, बल्कि ये व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग और राज्य के युग के कार्य के तीन चरण हैं।

28.5.18

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य एवं मनुष्य का रीति व्यवहार" (भाग तीन)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य एवं मनुष्य का रीति व्यवहार" (भाग तीन)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक उदाहरण में ऐसे दर्शन हैं जिन्हें मनुष्य के द्वारा पहचाना जाना चाहिए, ऐसे दर्शन जिनका अनुसरण मनुष्य के प्रति परमेश्वर की उचित अपेक्षाओं के द्वारा किया जाता है। बुनियाद के रूप में इन दर्शनों के बिना, मनुष्य साधारण तौर पर रीति व्यवहार में असमर्थ होगा, और न ही मनुष्य बिना लड़खड़ाए परमेश्वर का अनुसरण करने के योग्य होगा। यदि मनुष्य परमेश्वर को नहीं जानता या परमेश्वर की इच्छा को नहीं समझता, तो वह सब कुछ जो मनुष्य करता है वह व्यर्थ है, और परमेश्वर के द्वारा ग्रहण किए जाने के योग्य नहीं है।

27.5.18

परमेश्वर पर विश्वास करना वास्तविकता पर केंद्रित होना चाहिए, न कि धार्मिक रीति-रिवाजों पर


परमेश्वर पर विश्वास करना वास्तविकता पर केंद्रित होना चाहिए, न कि धार्मिक रीति-रिवाजों पर

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "कुछ लोगों में अपनी ओर ध्यान खींचने की विशेष प्रवृत्ति होती है। अपने भाई-बहनों की उपस्थिति में, वह कहता है कि वह परमेश्वर के प्रति कृतज्ञ है, परंतु उनकी पीठ पीछे, वह सत्य का अभ्यास नहीं करता है और पूरी तरह से अन्यथा करता है। क्या यह उन धार्मिक फरीसियों जैसा नहीं है?

23.5.18

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य एवं मनुष्य का रीति व्यवहार" (भाग दो)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य एवं मनुष्य का रीति व्यवहार" (भाग दो)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक उदाहरण में ऐसे दर्शन हैं जिन्हें मनुष्य के द्वारा पहचाना जाना चाहिए, ऐसे दर्शन जिनका अनुसरण मनुष्य के प्रति परमेश्वर की उचित अपेक्षाओं के द्वारा किया जाता है। बुनियाद के रूप में इन दर्शनों के बिना, मनुष्य साधारण तौर पर रीति व्यवहार में असमर्थ होगा, और न ही मनुष्य बिना लड़खड़ाए परमेश्वर का अनुसरण करने के योग्य होगा।

22.5.18

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य एवं मनुष्य का रीति व्यवहार" (भाग एक)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य एवं मनुष्य का रीति व्यवहार" (भाग एक)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक उदाहरण में ऐसे दर्शन हैं जिन्हें मनुष्य के द्वारा पहचाना जाना चाहिए, ऐसे दर्शन जिनका अनुसरण मनुष्य के प्रति परमेश्वर की उचित अपेक्षाओं के द्वारा किया जाता है। बुनियाद के रूप में इन दर्शनों के बिना, मनुष्य साधारण तौर पर रीति व्यवहार में असमर्थ होगा, और न ही मनुष्य बिना लड़खड़ाए परमेश्वर का अनुसरण करने के योग्य होगा।

19.5.18

New Hindi Christian Song 2018 | इंसान शायद समझ ले उसे, उम्मीद है परमेश्वर को


New Hindi Christian Song 2018 | इंसान शायद समझ ले उसे, उम्मीद है परमेश्वर को

मानवजाति से परमेश्वर के पहले संपर्क से लेकर,
करता आ रहा है वो प्रकट निरंतर, बिना रुके
अपने सार को, वो क्या है और उसके पास है क्या।

18.5.18

The Tabernacle of God Is With Man | Hindi Gospel Movie "भक्ति का भेद"(Hindi Dubbed)


The Tabernacle of God Is With Man | Hindi Gospel Movie "भक्ति का भेद"(Hindi Dubbed)


लिन बोएन चीन के गृह कलीसिया में एक एल्डर थे। एक विश्वासी के रूप में अपने सभी वर्षों के दौरान, प्रभु के लिए कष्ट उठाना अपना सौभाग्य समझते थे, और वे प्रभु यीशु मसीह के ज्ञान और सिद्धि को दुनिया की किसी भी अन्य चीज़ से ज़्यादा महत्व देते थे। एक सौभाग्यशाली दिन, वे धर्मोपदेश देने गए थे जब उन्हें कुछ हैरान करने वाले समाचार सुनाई दिए: प्रभु यीशु शरीर रूप में लौट आये हैं, और वे अंत के दिनों के मसीह -- सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं! लिन बोएन उलझ गए।

14.5.18

New Hindi Christian Song 2018 | भ्रष्ट मानवता को आवश्यकता है परमेश्वर द्वारा उद्धार की


 New Hindi Christian Song 2018 | भ्रष्ट मानवता को आवश्यकता है परमेश्वर द्वारा उद्धार की
भ्रष्ट मानवता को आवश्यकता है परमेश्वर द्वारा उद्धार की दूषित मानवता को चाहिये देहधारी परमेश्वर का कार्य। दूषित मानवता को चाहिये देहधारी परमेश्वर का कार्य।

7.5.18

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "राज्य का युग वचन का युग है (भाग दो)"


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "राज्य का युग वचन का युग है (भाग दो)"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "राज्य के युग में, परमेश्वर नए युग की शुरूआत करने, अपने कार्य के साधन बदलने, और संपूर्ण युग में काम करने के लिये अपने वचन का उपयोग करता है। वचन के युग में यही वह सिद्धांत है, जिसके द्वारा परमेश्वर कार्य करता है।

5.5.18

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "राज्य का युग वचन का युग है (भाग एक)"



सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "राज्य का युग वचन का युग है (भाग एक)"


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "राज्य के युग में, परमेश्वर नए युग की शुरूआत करने, अपने कार्य के साधन बदलने, और संपूर्ण युग में काम करने के लिये अपने वचन का उपयोग करता है। वचन के युग में यही वह सिद्धांत है, जिसके द्वारा परमेश्वर कार्य करता है। वह देहधारी हुआ ताकि विभिन्न दृष्टिकोणों से बातचीत कर सके, मनुष्य वास्तव में परमेश्वर को देख सके, जो देह में प्रकट होने वाला वचन है, और उसकी बुद्धि और आश्चर्य को जान सके।

How Great Is Our God | Hindi Musical Drama "शिओचेन की कहानी"(6)-वापसी (Hindi Dubbed)


How Great Is Our God | Hindi Musical Drama "शिओचेन की कहानी"(6)-वापसी (Hindi Dubbed)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "जब तुम थके हो और इस संसार में खुद को तन्हा महसूस करने लगो तो, व्याकुल मत होना, रोना मत। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, रखवाला, किसी भी समय तुम्हारे आगमन को गले लगा लेगा। वह तुम्हारी राह देख रहा है, वह तुमतुम्हारे लौटने की प्रतीक्षा में बैठा है।

प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण कदम

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