सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "केवल परमेश्वर के प्रबंधन के मध्य ही मनुष्य बचाया जा सकता है" (अंश)
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "इस विशाल ब्रह्मांड में ऐसे कितने प्राणी हैं जो सृष्टि के नियम का बार-बार पालन करते हुए, एक ही निरंतर नियम पर चल रहे हैं और प्रजनन कार्य में लगे हैं। जो लोग मर जाते हैं वे जीवितों की कहानियों को अपने साथ ले जाते हैं और जो जीवित हैं वे मरे हुओं के वही त्रासदीपूर्ण इतिहास को दोहराते रहते हैं। मानवजाति बेबसी में स्वयं से पूछती हैः हम क्यों जीवित हैं? और हमें करना क्यों पडता है? यह संसार किसके आदेश पर चलता है? मानवजाति को किसने रचा है? क्या वास्तव में मानवजाति प्रकृति के द्वारा ही रची गई है? क्या मानवजाति वास्तव में स्वयं के भाग्य के नियंत्रण में है?...हज़ारों सालों से मानवजाति ने बार-बार ये प्रश्न किए हैं। दुर्भाग्य से, मानवजाति जितना अधिक इन प्रश्नों के जूनून से घिरती गई, विज्ञान के लिए उसके भीतर उतनी ही अधिक प्यास उत्पन्न होती गई है।