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11.3.18

परमेश्वर सम्पूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियन्ता है

सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर कहते हैं:मानवजाति का सदस्य और सच्चे ईसाई होने के नाते, अपने मन और शरीर को परमेश्वर के आदेश को पूरा करने के लिए समर्पित करना हम सभी की ज़िम्मेदारी और दायित्व है, क्योंकि हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व परमेश्वर से आया है, और यह परमेश्वर की संप्रभुता के कारण अस्तित्व में है।

The One Who Holds Sovereignty Over Everything

परमेश्वर सम्पूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियन्ता है
मानवजाति का सदस्य और सच्चे ईसाई होने के नाते, अपने मन और शरीर को परमेश्वर के आदेश को पूरा करने के लिए समर्पित करना हम सभी की ज़िम्मेदारी और दायित्व है, क्योंकि हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व परमेश्वर से आया है, और यह परमेश्वर की संप्रभुता के कारण अस्तित्व में है।

28.1.18

प्रस्तावना

तुम में से प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर में विश्वास करके नए सिरे से अपने जीवन की जांच करके यह देख सकता है कि क्या परमेश्वर को खोजते समय, तुम सच्चे रूप में समझ पाए हो, सच्चे रूप में पूर्णत: समझ गये हो, और सच्चे रूप में परमेश्वर को जाने हो, और यह कि तूम सच्चे रूप में जान गये हो कि, विभिन्न मनुष्यों के प्रति परमेश्वर का मनोभाव क्या है, और यह कि तुम वास्तव में यह समझ गये हो कि परमेश्वर तुम पर क्या कार्य कर रहा है और परमेश्वर कैसे उसके प्रत्येक कार्य को व्यक्त करता है।

21.1.18

केवल परमेश्वर के प्रबंधन के मध्य ही मनुष्य बचाया जा सकता है


प्रत्येक व्यक्ति यह महसूस करता है कि परमेश्वर का प्रबंधन अजीब है, क्योंकि लोग यह सोचते हैं कि परमेश्वर का प्रबंधन पूरी तरह से मनुष्य से सम्बन्धित नहीं है। वे यह सोचते हैं कि यह प्रबंधन केवल परमेश्वर का ही कार्य है, यह उसी के मतलब का है, और इसलिए मनुष्य परमेश्वर के प्रबंधन के प्रति बिल्कुल तटस्थहै।

13.1.18

बाइबल के विषय में (4)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
बहुत से लोग यह विश्वास करते हैं कि बाइबल को समझना और उसकी व्याख्या करने में समर्थ होना सच्चे मार्ग की खोज करने के समान है—परन्तु वास्तव में, क्या ये चीज़ें इतनी सरल हैं? बाइबल की सच्चाई को कोई नहीं जानता हैः कि यह परमेश्वर के कार्य के ऐतिहासिक अभिलेख, और परमेश्वर के कार्य के पिछले दो चरणों की गवाही से बढ़कर और कुछ नहीं है, और तुम्हें परमेश्वर के कार्य के लक्ष्यों की कोई समझ नहीं देता है।

11.1.18

क्या वे जो सीखते और जानते नहीं, पशु मात्र नहीं हैं?

    आज के पथ पर खोज के लिए सबसे उपयुक्त तरीका क्या है? अपनी खोज में तुम्हें किस व्यक्ति के रूप में स्वयं को देखना चाहिए? तुम्हें पता होना चाहिए कि जो कुछ अभी तुम्हारे साथ घटित हो रहा है उसे कैसे सँभाला जाए, चाहे वे परीक्षाएँ हों या पीड़ा, बेरहम ताड़ना हो या अभिशाप, इन सब के प्रति तुम्हें सतर्क ध्यान देना चाहिए। मैं यह क्यों कह रहा हूँ?क्योंकि अंततः, अब जो तुम्हारे साथ घटित हो रहा है, वह एक के बाद एक छोटा परीक्षण है। शायद अभी यह तुम्हारे लिए एक बड़ा तनाव नहीं, इसलिए तुम चीज़ों को चाहे जैसे भी होने दे रहे हो, प्रगति की अपनी खोज में इसे कीमती धन की तरह न लेते हुए। तुम बहुत अधिक लापरवाह हो! इस कीमती धन को तुम वास्तव में अपनी आँखों के सामने तैरते बादलों की तरह लेते हो, और तुम कठोर आघात करतीं इन छोटी घटनाओं को संजोये नहीं रखते, जो अभी तुम्हें बहुत कठोर नहीं लग रही हैं। तुम बस रुखाई से निरीक्षण करते हो और दिल पर उन्हें नहीं लेते हो, केवल उन्हें कभी-कभी एक दीवार से टकराते हुए देखते हो।

8.1.18

तुम किस के प्रति वफादार हो?

जो जीवन तुम हर दिन जीते हो वह अब तुम्हारी नियति और तुम्हारी तकदीर के लिए निर्णायक और बहुत ही महत्वपूर्ण है। अतः जो कुछ तुम्हारे पास है और हर मिनट जो गुज़रता जाता है उसमें तुम्हें आनन्दित होना चाहिए। खुद को सबसे बड़ा लाभ देने के लिए तुम्हें अपने समय का हर सम्भव सदुपयोग करना चाहिए, ताकि तुम अपने जीवन को व्यर्थ में न जियो।शायद तुम इसके बारे में भ्रमित हो कि मैं ये वचन क्यों कह रहा हूँ? खुलकर कहूँ, तो मैं तुम में से किसी के भी कार्यों से प्रसन्न नहीं हूँ। क्योंकि तुम्हारे लिए मुझ में जो आशाएँ हैं वे वैसी नहीं हैं जैसे तुम अब हो। इस प्रकार, मैं इसे इस तरह से प्रकट कर सकता हूँ: तुम सभी खतरे के मुहाने पर हो। उद्धार के लिए तुम्हारा पहले का रोना और सत्य का अनुसरण करने और ज्योति की खोज करने के लिए तुम्हारी पूर्व आकांक्षाएँ खत्म होने वाली हैं। अंत में, क्या तुम मुझे इस तरह का प्रतिफल दोगे, यह कुछ ऐसा है जिसकी इच्छा मैंने कभी नहीं की थी। मैं प्रमाणित सत्य के विपरीत कुछ भी नहीं कहना चाहता हूँ, क्योंकि तुमने मुझे बहुत निराश किया है। शायद तुम उस मामले को वहाँ तक ऐसे ही नहीं छोड़ना चाहते और वास्तविकता का सामना नहीं करना चाहते।

7.1.18

चैबीसवाँ कथन

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मेरी ताड़नाएँ सभी लोगों पर आती हैं, फिर भी यह सभी लोगों से दूर भी रहती हैं। हर व्यक्ति का संपूर्ण जीवन मेरे प्रति प्रेम और नफ़रत से भरा हुआ है, और किसी ने भी मुझे कभी नहीं जाना है—और इस प्रकार मेरे प्रति मनुष्य की प्रवृत्ति कभी हाँ कभी ना करना की होती है, और सामान्य होने में अक्षम है।

6.1.18

क्या तुम जानते हो? परमेश्वर ने मनुष्यों के बीच एक बहुत बड़ा काम किया है


पुराना युग बीत चुका है, और नया युग आ गया है। वर्ष दर वर्ष, और दिनोंदिन परमेश्वर ने बहुत काम किया है। वह इस संसार में आया और फिर लौट गया। ऐसा चक्र अनेक पीढ़ियों तक लगातार चलता रहा। आज भी परमेश्वर को जो काम करना है वह उसी प्रकार काम करता है वह काम जिसे उसे अभी पूरा करना है, उसने आज तक विश्राम में प्रवेश नहीं किया है।

26.12.17

उद्धारकर्त्ता पहले से ही एक “सफेद बादल” पर सवार होकर वापस आ चुका है


सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया - सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन
कई हज़ारों सालों से, मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता के आगमन को देखने में सक्षम होने की लालसा की है। मनुष्य ने उद्धारकर्त्ता यीशु को एक सफेद बादल पर देखने की इच्छा की है जब वह व्यक्तिगत रूप से उन लोगों के बीच में अवरोहण करता है जिन्होंने हज़ारों सालों से उसकी अभिलाषा की है और उसके लिए लालायित रहे हैं।

25.12.17

आज परमेश्वर के कार्य को जानना


आज परमेश्वर के कार्य को जानना

इन दिनों में परमेश्वर के कार्यों को जानना, अधिकांशतः, अंत के दिनों के देहधारी परमेश्वर को जानना है, यह जानना है कि उसकी मुख्य सेवकाई क्या है और पृथ्वी पर वह क्या करने के लिए आया है। मैंने पहले अपने वचनों में उल्लेख किया था कि प्रस्थान से पहले हमारे सामने

प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण कदम

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