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5.8.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है V परमेश्वर की पवित्रता (II)" (भाग तीन)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है V परमेश्वर की पवित्रता (II)" (भाग तीन)


इस वीडियो में परमेश्वर के वचन "वचन देह में प्रकट होता है" पुस्तक से हैं। इस वीडियो की सामग्री:
1. कैसे शैतान मनुष्य को भ्रष्ट करने के लिए ज्ञान का उपयोग करता है
3. कैसे शैतान मनुष्य को भ्रष्ट करने के लिए पारम्परिक संस्कृति का उपयोग करता है
2. कैसे शैतान मनुष्य को भ्रष्ट करने में विज्ञान का उपयोग करता है
4. कैसे शैतान मनुष्य को भ्रष्ट करने के लिए अंधविश्वास का उपयोग करता है

1.8.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III परमेश्वर का अधिकार" (अंश 2)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III परमेश्वर का अधिकार" (अंश 2)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "परमेश्वर ही मनुष्य का एकमात्र प्रभु है, परमेश्वर ही मनुष्य के भाग्य का एकमात्र स्वामी है, और इसलिए मनुष्य के लिए अपने स्वयं के भाग्य पर हुक्म चलाना असंभव है, और उससे परे होना असंभव है। किसी व्यक्ति की योग्यताएँ चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हों, वह दूसरों के भाग्य को प्रभावित नहीं कर सकता है, आयोजित, व्यवस्थित, नियन्त्रित, या परिवर्तित तो बिलकुल नहीं कर सकता है। केवल स्वयं अद्वितीय परमेश्वर ही मनुष्य के लिए सभी चीज़ों पर हुक्म चलाता है, क्योंकि केवल वही अद्वितीय अधिकार धारण करता है जो मनुष्य के भाग्य के ऊपर संप्रभुता रखता है; और इसलिए केवल सृजनकर्ता ही मनुष्य का अद्वितीय स्वामी है।

30.7.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III परमेश्वर का अधिकार" (अंश 4)



अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III परमेश्वर का अधिकार" (अंश 4)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परिस्थितियों की परवाह किए बगैर परमेश्वर का अधिकार अस्तित्व में है; परमेश्वर सभी परिस्थितियों में अपने विचारों एवं अपनी इच्छाओं की अनुरूपता में प्रत्येक मानव की नियति एवं सभी प्राणियों का नियन्त्रण एवं इंतज़ाम करता है। मनुष्यों के बदलने के कारण यह नहीं बदलेगा, और यह मनुष्य की इच्छा से स्वतन्त्र है, और समय, अंतरिक्ष, एवं भूगोल में परिवर्तनों के द्वारा इसे बदला नहीं जा सकता है, क्योंकि परमेश्वर का अधिकार ही उसकी हस्ती है। चाहे मनुष्य परमेश्वर की संप्रभुता को जानने एवं स्वीकार करने के योग्य है या नहीं, और चाहे मनुष्य इसके अधीन होने के योग्य है या नहीं, यह मानव की नियति के ऊपर परमेश्वर की संप्रभुता के तथ्य को ज़रा सा भी नहीं बदलता है। दूसरे शब्दों में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि मनुष्य परमेश्वर की संप्रभुता के प्रति क्या मनोवृत्ति अपनाता है, क्योंकि यह साधारण तौर पर इस तथ्य को बदल नहीं सकता है कि परमेश्वर मानव की नियति एवं सभी चीज़ों के ऊपर संप्रभुता रखता है। भले ही तुम परमेश्वर की संप्रभुता के अधीन नहीं हो, फिर भी वह अब भी तुम्हारी नियति को निर्धारित करता है; भले ही तुम उसकी संप्रभुता को नहीं जान सकते हो, फिर भी उसका अधिकार अब भी अस्तित्व में है।

27.7.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (अंश)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (अंश)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "तो शैतान मनुष्य के विचारों को नियन्त्रित करने के लिए प्रसिद्धि एवं लाभ का तब तक उपयोग करता है जब तक वे जो भी सोच सकते हैं वह प्रसिद्धि एवं लाभ न हो। वे प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए संघर्ष करते हैं, प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए कठिनाईयों को सहते हैं, प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए अपमान सहते हैं, प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए जो कुछ उनके पास है उसका बलिदान करते हैं, और प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए वे किसी भी प्रकार का मूल्यांकन करेंगे या निर्णय लेंगे। इस तरह से, शैतान मनुष्य को अदृश्य बेड़ियों से बाँध देता है। इन बेड़ियों का लोगों की पर प्रभाव पड़ता है, और उनके पास इन्हें उतार फेंकने की न तो सामर्थ होती है न ही साहस होता है। अतः लोग अनजाने में ही हमेशा इन बेड़ियों को वहन करते हुए बड़ी कठिनाई में पाँव घसीटते हुए आगे बढ़ते रहते हैं।

25.7.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (भाग चार)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (भाग चार)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं,क्योंकि परमेश्वर का सार पवित्र है; इसका मतलब है कि केवल परमेश्वर के माध्यम से ही तुम जीवन के आर पार उज्जवल, एवं सही मार्ग पर चल सकते हो; केवल परमेश्वर के माध्यम से ही तुम जीवन के अर्थ को जान सकते हो, केवल परमेश्वर के माध्यम से ही तुम वास्तविक जीवन को जी सकते हो, सच्चाई को धारण कर सकते हो, सच्चाई को जान सकते हो, और केवल परमेश्वर के माध्यम से ही तुम सच्चाई से जीवन प्राप्त कर सकते हो। केवल स्वयं परमेश्वर ही तुम्हें बुराई से दूर रहने में सहायता कर सकता है और शैतान की हानि एवं नियन्त्रण से छुटकारा दे सकता है।

16.6.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III परमेश्वर का अधिकार" (अंश)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III परमेश्वर का अधिकार" (अंश)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "मानवता एवं विश्व की नियति सृष्टिकर्ता की संप्रभुता के साथ घनिष्ठता से गुथी हुई हैं, और सृष्टिकर्ता के आयोजनों से अविभाज्य रूप से बंधी हुई हैं; अंत में, उन्हें सृष्टिकर्ता के अधिकार से धुनकर अलग नहीं किया जा सकता है। सभी चीज़ों के नियमों के माध्यम से मनुष्य सृष्टिकर्ता के आयोजनों एवं उसकी संप्रभुता को समझ पाता है; जीवित बचे रहने के नियमों के माध्यम से वह सृष्टिकर्ता के शासन का एहसास करता है; सभी चीज़ों की नियति से वह उन तरीकों के विषय में निष्कर्ष निकालता है जिनसे सृष्टिकर्ता अपनी संप्रभुता का इस्तेमाल करता है और उन पर नियन्त्रण करता है; और मानव प्राणियों एवं सभी चीज़ों के जीवन चक्रों में मनुष्य सचमुच में सभी चीज़ों के लिए सृष्टिकर्ता के आयोजनों और इंतज़ामों का अनुभव करता है और सचमुच में इस बात का साक्षी बनता है कि किस प्रकार वे आयोजन और इंतज़ाम सभी सांसारिक विधियों, नियमों, और संस्थानों, तथा सभी शक्तियों और ताकतों का स्थान ले लेते हैं।

4.5.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (भाग दो)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (भाग दो)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए मनुष्य के लोभी खोज के साथ, वे निरन्तर वैज्ञानिक अन्वेषण एवं गहरे अनुसंधान को क्रियान्वित करते रहते हैं, तो वे लगातार अपनी स्वयं की भौतिक आवश्यकताओं एवं काम वासना को संतुष्ट करते रहते हैं; फिर मनुष्य के लिए इसके क्या नतीजे हैं? सबसे पहले अब आगे से कोई पर्यावरणीय संतुलन नहीं रहा और, इसके साथ ही साथ, इस प्रकार के वातावरण के द्वारा समस्त मानवजाति के शरीरों को दूषित एवं क्षतिग्रस्त कर दिया गया है, और विभिन्न संक्रमित रोग, विपदाएँ, एवं धुंध हर जगह फैल गई है। यह ऐसी स्थति है जिस पर अब मनुष्य का कोई नियन्त्रण नहीं है, क्या यह सही नहीं है?

1.5.19

मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IX परमेश्वर सभी चीज़ों के लिए जीवन का स्रोत है (III)" (भाग दो के क्रम में)


मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IX परमेश्वर सभी चीज़ों के लिए जीवन का स्रोत है (III)" (भाग दो के क्रम में)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "सभी चीज़ों को परमेश्वर के शासन से अलग नहीं किया जा सकता है, और न ही एक अकेला व्यक्ति स्वयं को उसके शासन से अलग कर सकता है। उसके नियम को खोने और उसके प्रयोजनों को खोने का अर्थ होगा कि लोगों का जीवन, अर्थात् देह में लोगों का जीवन लुप्त हो जाएगा। यह मानवजाति के लिए जीवित रहने हेतु परमेश्वर द्वारा स्थापित विभिन्न वातावरण का महत्व है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि तुम किस जाति के हो या तुम भूमि के किस हिस्से पर रहते हो, चाहे पश्चिम में हो या पूर्व में-तुम जीवित रहने के लिए उस वातावरण से अपने आपको अलग नहीं कर सकते हो जिसे परमेश्वर ने मानवजाति के लिए स्थापित किया है, और तुम जीवित रहने के लिए उस वातावरण के पोषण और प्रयोजनों से अपने आपको अलग नहीं कर सकते हो जिसे उसने मनुष्यों के लिए स्थापित किया है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम्हारी आजीविका क्या है, तुम जीने के लिए किस पर आश्रित हो, और देह में अपने जीवन को बनाए रखने के लिए तुम किस पर आश्रित हो, क्योंकि तुम स्वयं को परमेश्वर के शासन और प्रबंधन से अलग नहीं कर सकते हो।"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ें, आप जीवन के कई रहस्यों के बारे में खोज पाएंगे।


30.4.19

"स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IX परमेश्वर सभी चीज़ों के लिए जीवन का स्रोत है (III)" (भाग दो)


"स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IX परमेश्वर सभी चीज़ों के लिए जीवन का स्रोत है (III)" (भाग दो)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "सभी चीज़ों को परमेश्वर के शासन से अलग नहीं किया जा सकता है, और न ही एक अकेला व्यक्ति स्वयं को उसके शासन से अलग कर सकता है। उसके नियम को खोने और उसके प्रयोजनों को खोने का
अर्थ होगा कि लोगों का जीवन, अर्थात् देह में लोगों का जीवन लुप्त हो जाएगा।

18.4.19

मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है X सब वस्तुओं के जीवन का स्रोत परमेश्वर है (IV)"(भाग चार)


मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है X सब वस्तुओं के जीवन का स्रोत परमेश्वर है (IV)"(भाग चार)


इस वीडियो में परमेश्वर के वचन "वचन देह में प्रकट होता है" पुस्तक से हैं। इस वीडियो की सामग्री:
मनुष्य से परमेश्वर की अपेक्षाएँ 1. स्वयं परमेश्वर की पहचान और हैसियत 2. परमेश्वर के प्रति मनुष्य की विभिन्न प्रवृत्तियाँ 3. वह दृष्टिकोण जो परमेश्वर अपेक्षा करता है कि उसके प्रति मनुष्यजाति का होना चाहिए

10.4.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II" (भाग एक)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II" (भाग एक)


इस वीडियो में परमेश्वर के वचन "वचन देह में प्रकट होता है" पुस्तक से हैं। इस वीडियो की सामग्री:
कोई भी उस कार्य को बाधित नहीं कर सकता है जिसे करने का परमेश्वर ने दृढ़ निश्चय करता है
"परमेश्वर की प्रबन्धकीय योजना किसी भी मनुष्य, मामले, या पर्यावरण के द्वारा अप्रभावित है। वह सब कुछ जिसे करने के लिए उसने दृढ़ निश्चय किया है वह समय पर एवं उसकी योजना के अनुसार खत्म एवं पूर्ण होगा, और उसके कार्य के साथ किसी भी मनुष्य के द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। परमेश्वर मनुष्य की कुछ मूर्खताओं एवं अज्ञानताओं पर ध्यान नहीं देता है, और यहाँ तक उसके प्रति मनुष्य के कुछ प्रतिरोध एवं अवधारणाओं को भी नज़रअंदाज़ करता है; इसके बदले, वह बिना किसी संकोच के उस कार्य को करता है जो उसे करना चाहिए। यह परमेश्वर का स्वभाव है, और उसकी सर्वसामर्थता का प्रतिबिम्ब है।"

8.2.19

"स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VIII परमेश्वर सभी चीज़ों के लिए जीवन का स्रोत है (II)" (भाग दो)


"स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VIII परमेश्वर सभी चीज़ों के लिए जीवन का स्रोत है (II)" (भाग दो)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में सबसे बड़ा अन्तर है कि परमेश्वर सभी चीज़ों के ऊपर शासन करता है और सभी चीज़ों की आपूर्ति करता है। परमेश्वर प्रत्येक चीज़ का स्रोत है, और मानवजाति सभी चीज़ों का आनन्द उठाता है जबकि परमेश्वर उनकी आपूर्ति करता है। दूसरे शब्दों में, मानवजाति तब सभी चीज़ों का आनन्द उठाता है जब वह उस जीवन का स्वीकार कर लेता है जिसे परमेश्वर सभी चीज़ों को प्रदान करता है

21.1.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है (III) परमेश्वर का अधिकार (II)" (भाग सात)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है (III) परमेश्वर का अधिकार (II)" (भाग सात)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "इसे साधारण रूप से कहें, तो परमेश्वर के अधिकार के अधीन प्रत्येक व्यक्ति सक्रियता से या निष्क्रियता से उसकी संप्रभुता एवं इंतज़ामों को स्वीकार करता है, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वह किस प्रकार अपने जीवन के पथक्रम में संघर्ष करता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वह कितने टेढ़े-मेढ़े पथों पर चलता है, क्योंकि अंत में वह नियति की परिक्रमा-पथ पर वापस लौट आएगा जिसे सृष्टिकर्ता ने उस पुरुष या स्त्री के लिए चिन्हित किया है। यह सृष्टिकर्ता के अधिकार की अजेयता है, और वह रीति है जिसके तहत उसका अधिकार विश्व पर नियन्त्रण एवं शासन करता है। …... परमेश्वर ही मनुष्य का एकमात्र प्रभु है, परमेश्वर ही मानव की नियति का एकमात्र स्वामी है, और इस प्रकार मनुष्य के लिए अपनी स्वयं की नियति का नियन्त्रण करना असंभव है, और उससे बढ़कर होना असंभव है।

18.1.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है V परमेश्वर की पवित्रता (II)" (भाग दो)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है V परमेश्वर की पवित्रता (II)" (भाग दो)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जैसा मनुष्य का दृष्टिकोण होता है वैसा परमेश्वर का दृष्टिकोण नहीं होता, इसके अलावा, उसे काम करने के लिये मनुष्य के दृष्टिकोण, उनके ज्ञान, उनके विज्ञान या उनके दर्शनशास्त्र या कल्पनाओं का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती। बल्कि प्रत्येक बात जो परमेश्वर करता और जो परमेश्वर प्रगट करता है वह सत्य से जुड़ी होती है। यानिकि उसका हर शब्द और हर कार्य सच से संबंधित है।

6.1.19

मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (भाग तीन के क्रम में)


मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (भाग तीन के क्रम में)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "चूँकि परमेश्वर के पास मानवजाति की कोई भ्रष्टता नहीं है और यहाँ तक कि दूर-दूर तक उसके पास मानवजाति के भ्रष्ट स्वभाव या शैतान का सार के समान ऐसा कुछ भी नहीं है, तो इस दृष्टिकोण से हम कह सकते हैं कि परमेश्वर पवित्र है। परमेश्वर कोई भ्रष्टता प्रगट नहीं करता है, और उसके कार्य में उसके स्वयं के सार का प्रकाशन ही हमारे लिये आवश्यक इस बात की पूरी पुष्टि है कि स्वयं परमेश्वर पवित्र है। क्या अब तुम लोग देख रहे हो?

4.1.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (भाग तीन)




अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (भाग तीन)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "चूँकि परमेश्वर के पास मानवजाति की कोई भ्रष्टता नहीं है और यहाँ तक कि दूर-दूर तक उसके पास मानवजाति के भ्रष्ट स्वभाव या शैतान का सार के समान ऐसा कुछ भी नहीं है, तो इस दृष्टिकोण से हम कह सकते हैं कि परमेश्वर पवित्र है। परमेश्वर कोई भ्रष्टता प्रगट नहीं करता है, और उसके कार्य में उसके स्वयं के सार का प्रकाशन ही हमारे लिये आवश्यक इस बात की पूरी पुष्टि है कि स्वयं परमेश्वर पवित्र है। क्या अब तुम लोग देख रहे हो? कहने का तात्पर्य है, परमेश्वर के पवित्र सार को जानने के लिए, कुछ समय के लिए आइए हम इन दो पहलुओं पर नज़र डालें: 1) परमेश्वर में कोई भ्रष्ट स्वभाव नहीं है; 2) मनुष्य पर किए गए परमेश्वर के कार्य का सार मनुष्य को परमेश्वर के स्वयं के सार को देखने की अनुमति देता है और यह सार पूरी तरह से सकारात्मक एवं वास्तविक है।

2.1.19

"स्वयं परमेश्वर, अद्वितीय X सब वस्तुओं के जीवन का स्रोत परमेश्वर है (IV)" (भाग दो के क्रम में)

"स्वयं परमेश्वर, अद्वितीय X सब वस्तुओं के जीवन का स्रोत परमेश्वर है (IV)" (भाग दो के क्रम में)

इस वीडियो में परमेश्वर के वचन "वचन देह में प्रकट होता है" पुस्तक से हैं। इस वीडियो की सामग्री:
1. परमेश्वर किस प्रकार आत्मिक संसार पर शासन करता है और उसे चलाता है
1) अविश्वासियों का जीवन और मृत्यु चक्र
2) विभिन्न विश्वासी लोगों के जीवन और मृत्यु का चक्र

13.12.18

मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, अद्वितीय X सब वस्तुओं के जीवन का स्रोत परमेश्वर है (IV)" (भाग दो)




मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, अद्वितीय X सब वस्तुओं के जीवन का स्रोत परमेश्वर है (IV)" (भाग दो)

इस वीडियो में परमेश्वर के वचन "वचन देह में प्रकट होता है" पुस्तक से हैं। इस वीडियो की सामग्री:
1. परमेश्वर किस प्रकार आत्मिक संसार पर शासन करता है और उसे चलाता है 1) अविश्वासियों का जीवन और मृत्यु चक्र 2) विभिन्न विश्वासी लोगों के जीवन और मृत्यु का चक्र

21.10.18

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, अद्वितीय VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (भाग एक)




अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, अद्वितीय VI परमेश्वर की पवित्रता (III)" (भाग एक)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "अतः शैतान तब तक मनुष्य के विचारों को नियन्त्रित करने के लिए प्रसिद्धि एवं लाभ का इस्तेमाल करता है जब तक वे पूरी तरह से यह नहीं सोच सकते हैं कि यह प्रसिद्धि एवं लाभ है। वे प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए संघर्ष करते हैं, प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए कठिनाईयों को सहते हैं, प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए अपमान सहते हैं, प्रसिद्धि एवं लाभ के लिए जो कुछ उनके पास है उसका बलिदान करते हैं, और प्रसिद्धि एवं लाभ दोनों को बरकरार रखने एवं अर्जित करने के लिए वे किसी भी प्रकार का आंकलन करेंगे या कोई भी निर्णय लेंगे।

6.9.18

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II परमेश्वर का धर्मी स्वभाव" (भाग चार)



अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II परमेश्वर का धर्मी स्वभाव" (भाग चार)

इस वीडियो में परमेश्वर के वचन "वचन देह में प्रकट होता है" पुस्तक से हैं। इस वीडियो की सामग्री: नीनवे के लोगों के हृदयों में सच्चे पश्चाताप से उन्होंने परमेश्वर की दया को प्राप्त किया और उस ने उनके अंत को बदल दिया परमेश्वर की करुणा और सहनशीलता दुर्लभ नहीं है - मनुष्य का सच्चा पश्चाताप दुर्लभ है सृष्टिकर्ता का धर्मी स्वभाव सच्चा और स्पष्ट है मानवजाति के प्रति सृष्टिकर्ता की सच्ची भावनाएं सृष्टिकर्ता मानवता के लिए अपनी सच्ची भावनाओं को प्रकट करता है

प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण कदम

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