30.5.20

प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण कदम

<p><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">वू वेन, चीन</span></span></span></p>

<h2 dir="ltr" style="text-align: center;"><strong><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">हमारी धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहना</span></span></span></strong></h2>

<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">जैसा कि हम सभी जानते हैं, व्यवस्था के युग में, यहूदी मुख्य याजक, शास्त्री और फरीसी <strong><a href="https://hi.bible-nl.org/what-is-Christ.html" target="_blank">मसीहा </a></strong>के आगमन के लिए उत्सुक थे, लेकिन साथ ही, उन्होंने उनका विरोध करने और उनकी निंदा करने की पूरी कोशिश की। उन्होंने भविष्यवाणियों के बारे में बहुत सारे भ्रम पाल रखे थे, उनका विचार था कि जब उद्धारकर्ता आए तो उसे मसीहा कहा जाना चाहिए, कि उसे शाही महल में या एक महान परिवार में या कम से कम एक प्रतिष्ठित परिवार में पैदा होना चाहिए। फिर भी जब प्रभु यीशु आए, तो उन्हें मसीहा नहीं कहा गया और उनका जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, जो कि पूरी तरह से उनकी धारणाओं और कल्पनाओं के खिलाफ था। तो उन्होंने प्रभु यीशु की निंदा की और और उनका तिरस्कार किया। वे प्रभु यीशु का विरोध करने और उन्हें नुकसान पहुँचाने के लिए अपने इस गलत विचार पर कायम रहे कि &quot;जब तक आपको मसीहा नहीं कहा जाता है, आप मसीह नहीं हैं&quot;, उनके पास एक ऐसा दिल नहीं था जो सत्य की तलाश करता है। अंत में, न केवल वे मसीहा का स्वागत करने में विफल रहे, बल्कि उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। उन्होंने एक राक्षसी पाप किया और पूरे राष्ट्र को विनाश के अधीन कर दिया गया।</span></span></span></p>

<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">यशायाह 55:8-9 कहते हैं: &quot;<strong>मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।</strong>&quot; यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि कोई भी व्यक्ति परमेश्वर के कार्य की थाह नहीं पा सकता है, इसलिए हम अपने मन की कल्पनाओं के अनुसार परमेश्वर के काम को नहीं चित्रित नहीं कर सकते। ईसाई के रूप में, हम परमेश्वर की जल्द वापसी के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। उनका स्वागत करने के लिए, यहूदियों की गलती को दोहराने से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?</span></span></span></p>

<h2 dir="ltr" style="text-align: center;"><strong><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक समीक्षात्मक कदम</span></span></span></strong></h2>

<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की: &quot;<strong>मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा&quot; (यूहन्ना 16:12-13)। &quot;यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा</strong>&quot; (यूहन्ना 12:47-48)। और प्रकाशितवाक्य ने भविष्यवाणी की &quot;<strong>जिसके कान हों, वह सुन ले कि पवित्र आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्&zwj;वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूँगा&quot; (प्रकाशितवाक्य 2:7), तथा &quot;देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ</strong>&quot; (प्रकाशितवाक्य 3:20)। इन पदों से, हम देख सकते हैं कि जब प्रभु लौटकर आएँगे, तो वे मानवता का न्याय और शुद्धिकरण करने के लिए काम का एक चरण करते हुए सत्य को व्यक्त करेंगे। तो, परमेश्वर की वापसी का स्वागत करने की मुख्य बात यह है कि हमें परमेश्वर की वाणी को सुनने पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें उनके वचन और काम के माध्यम से जानने की कोशिश करनी चाहिए, बुद्धिमान कुंवारियोंकी तरह, जो दूल्हे का अभिवादन करने गयीं जब उन्होंने उनकी वाणी सुनी।</span></span></span></p>

<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhp0fDMeaP25gJX_lzGOd78juhqX-2nvf1urkaJEQJYDQwO1hHtExeWdHU6XlrXurIfYSUj8T5uS6Vo8wZ2PYs7wFYJjAIBXFaGY8_v1g-EkGtRpR5U57-aGfIQ4Q7-RsgVooJqyzy6tZFZ/s1600/46++++010-%25E4%25B8%25BB%25E8%2580%25B6%25E7%25A8%25A3%25E4%25B8%258E%25E9%2597%25A8%25E5%25BE%2592%25E7%2599%25BE%25E5%25A7%2593%25E5%259C%25A8%25E4%25B8%2580%25E8%25B5%25B71-ZB-20190316.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="562" data-original-width="1000" height="224" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhp0fDMeaP25gJX_lzGOd78juhqX-2nvf1urkaJEQJYDQwO1hHtExeWdHU6XlrXurIfYSUj8T5uS6Vo8wZ2PYs7wFYJjAIBXFaGY8_v1g-EkGtRpR5U57-aGfIQ4Q7-RsgVooJqyzy6tZFZ/s400/46++++010-%25E4%25B8%25BB%25E8%2580%25B6%25E7%25A8%25A3%25E4%25B8%258E%25E9%2597%25A8%25E5%25BE%2592%25E7%2599%25BE%25E5%25A7%2593%25E5%259C%25A8%25E4%25B8%2580%25E8%25B5%25B71-ZB-20190316.jpg" width="400" /></a></div>

<p style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">यह सोचकर कि जब प्रभु यीशु अपना कार्य करने के लिए आए, तो उन्होंने पतरस, यूहन्ना, मत्ती, मरकुस और अन्य लोगों को बुलाया। हालाँकि उन्होंने नहीं पहचाना कि प्रभु यीशु मसीहा हैं, लेकिन क्योंकि उन्होंने पाया कि उनके उपदेशों में सच्चाई है, वे प्रभु का पालन करने और उनका अनुसरण करने में सक्षम हो पाए, बजाय इसके कि वे अपनी आँखों से देखकर या दूसरों की बातें सुनकर उन्हें आंकें। वैसे ही नतनएल भी, जो तुरंत आश्वस्त हो गया था और उसने विश्वास कर लिया था कि प्रभु यीशु ही एक आने वाला था और जब उसने प्रभु यीशु को अपने दिल के विचारों को बोलते सुना तो उसने उनका अनुसरण किया। साथ ही, बहुत से लोगों ने प्रभु यीशु के उपदेश और सत्य को सुनने के बाद प्रभु यीशु का अनुसरण किया, जैसे कि ये पद &quot;<strong>मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है</strong>&quot; (मत्ती 4:17), &quot;<strong>तू परमेश्&zwj;वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। ये ही दो आज्ञाएँ सारी व्यवस्था एवं भविष्यद्वक्ताओं का आधार है</strong>&quot; (मत्ती 22:37-40), इत्यादि, और जब उन्होंने प्रभु यीशु के कार्यों को देख लिया: पाँच हज़ार लोगों को पाँच रोटियों और दो मछलियों से खिलाना, हवा और समुद्र को शांत करना, एक शब्द से मृत को फिर से जीवित करना, आदि। उपर्युक्त बातों से, हम देख सकते हैं कि ये लोग अपनी धारणाओं और कल्पनाओं पर आश्रित नहीं थे, और फरीसियों द्वारा विवश नहीं थे। इसके बजाय, उनके कथन और काम के माध्यम से, उन्होंने पहचाना कि प्रभु यीशु आने वाले मसीहा थे और इस तरह उनका अनुसरण किया। इसलिए उन्होंने प्रभु का स्वागत किया, उनकी नियति अन्य यहूदियों से बहुत अलग थी।</span></span></span></p>

<p style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">इसलिए, यदि हम अंतिम दिनों में प्रभु की वापसी का स्वागत करना चाहते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी धारणाओं और कल्पनाओं को जाने दें और परमेश्वर की आवाज को सुनना सीखें। जब हम किसी को गवाही देते सुनते हैं कि प्रभु काम करने और सच्चाई को व्यक्त करने के लिए प्रकट हुआ है, तो हमें विनम्रतापूर्वक यह देखने की तलाश करनी चाहिए कि क्या इस मार्ग में सच्चाई है और अगर यह परमेश्वर की आवाज़ है। हमें अपनी इच्छा के अनुसार प्रभु को हमारे सामने प्रकट होने के लिए नहीं कहना चाहिए, अन्यथा यह पूरी तरह से अनुचित है और हम प्रभु की वापसी का स्वागत करने के हमारे अवसर को खो देने के लिये उपयुक्त होंगे।</span></span></span></p>

<p dir="ltr" style="text-align: right;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए</span></span></span></p>

<p style="text-align: justify;"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">और पढ़ें:बहुत से भाई और बहन मानते हैं कि प्रभु बादलों में आएगा। लेकिन बाइबल भी भविष्यवाणी करता है कि प्रभु एक चोर के समान आएगा। प्रभु आखिए आएगा कैसे? <strong><a href="https://hi.bible-nl.org/prophecy-of-the-Lord-coming.html" target="_blank">यीशु मसीह की भविष्यवाणी</a></strong> कैसे पूरी होगी? इस लेख में हम आपके साथ इसे खोजने वाले हैं।</span></span></span></p>

<p dir="ltr"><span style="font-size:16px;"><span style="color:#000000;"><span style="background-color:#ffffff;">हमारे &ldquo;<strong><a href="https://hi.bible-nl.org/Lord-Jesus-return.html" target="_blank">बाइबल की भविष्यवाणी</a></strong>&rdquo; पेज पर, इससे आप समझेंगे कि भविष्यवाणियों को किस तरह समझा जाए? साथ ही, प्रभु यीशु की वापसी का स्वागत करने का मौका पाएं।</span></span></span></p>

30.8.19

मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है: परमेश्वर का अधिकार" (उद्धरण, मंच पर सस्वर पाठ)


मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है: परमेश्वर का अधिकार" (उद्धरण, मंच पर सस्वर पाठ)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "परमेश्वर का अधिकार हर जगह, हर घण्टे, और हर एक क्षण है। यदि स्वर्ग और पृथ्वी समाप्त जाएँ, तब भी उसका अधिकार कभी समाप्त नहीं होगा, क्योंकि वह स्वयं परमेश्वर है, वह अद्वितीय अधिकार धारण करता है, और उसका अधिकार लोगों, घटनाओं या चीज़ों के द्वारा, अंतरीक्ष के द्वारा या भूगोल के द्वारा प्रतिबन्धित या सीमित नहीं होता है।

29.8.19

5. परमेश्वर पर विश्वास केवल शान्ति और आशीषों को खोजने के लिए ही नहीं होना चाहिए।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज, आपको सही रास्ते पर नियत अवश्य होना चाहिए क्योंकि तुम व्यावहारिक परमेश्वर में विश्वास करते हो। परमेश्वर में विश्वास करके, तुम्हें सिर्फ़ आशीषों को ही नहीं खोजना चाहिए, बल्कि परमेश्वर को प्रेम करने और परमेश्वर को जानने की कोशिश करनी चाहिए। इस प्रबुद्धता और तुम्हारी स्वयं की खोज के माध्यम से, तुम उसके वचन को खा और पी सकते हो, परमेश्वर के बारे में एक सच्ची समझ को विकसित कर सकते हो, और परमेश्वर के लिए एक सच्चा प्रेम रख सकते हो जो तुम्हारे हृदय से आता है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर के लिए तुम्हारा प्रेम सबसे अधिक सच्चा है, इतना कि उसके लिए तुम्हारे प्रेम को कोई नष्ट नहीं कर सकता है या उसके लिए तुम्हारे प्रेम के मार्ग में कोई खड़ा नहीं हो सकता है।

28.8.19

Hindi Christian Movie Trailer | इंतज़ार था जिन ख़ुशियों का | A True Christian Story


Hindi Christian Movie Trailer | इंतज़ार था जिन ख़ुशियों का | A True Christian Story


डिंग रुइलिन और उसका पति एक कारोबार शुरू करने और उसे चलाने के लिये दिन-रात मेहनत करते हैं ताकि पैसा कमाकर, एक अच्छी ज़िंदगी जी सकें। लेकिन सीसीपी सरकार के शोषण और बुरे बर्ताव के चलते, वे कर्ज़ में बुरी तरह डूब जाते हैं। विदेश जाकर काम करने के अलावा, उनके पास और कोई विकल्प नहीं बचता। अधिक पैसा कमाने की गरज़ से, डिंग रुइलिन दो-दो काम पकड़ लेती है। काम के भारी बोझ और आस-पास के लोगों की बेरुख़ी से, उसे पीड़ा और पैसा कमाने की बेबसी का एहसास होता है। अपनी पीड़ा और उलझन के मध्य, डिंग रुइलिन की मुलाकात अपनी हाई स्कूल की एक सहपाठी लिन झिशिन से हो जाती है। बातचीत के दौरान डिंग रुइलिन को पता चलता है कि परमेश्वर में आस्था रखने की वजह से लिन झिशिन में बहुत-सी बातों की समझ आ गई है। परमेश्वर की उपस्थिति में, उसे आध्यात्मिक शांति और आनंद प्राप्त हो रहा है।

27.8.19

Hindi Christian Song 2019 | "अंतिम दिनों का मसीह लाता है राज्य का युग"


Hindi Christian Song 2019 | "अंतिम दिनों का मसीह लाता है राज्य का युग"

जब मानव जगत में यीशु आया, व्यवस्था के युग को समाप्त कर, अनुग्रह का युग लाया। बना फिर देहधारी अंतिम दिनों में परमेश्वर। अनुग्रह के युग को समाप्त कर, राज्य का युग लाया। परमेश्वर का दूजा देहधारण है जिन्हें स्वीकार वे राज्य के युग में ले जाये जायेंगे, और उसकी रहनुमाई पायेंगे।

26.8.19

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के कथन - पच्चीसवाँ कथन"


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के कथन - पच्चीसवाँ कथन"


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "मेरी नज़रों में, मनुष्य सभी चीज़ों का शासक है। मैंने उसे कम मात्रा में अधिकार नहीं दिया है, उसे पृथ्वी पर सभी चीज़ों—पहाड़ो के ऊपर की घास, जंगलों के बीच जानवरों, और जल की मछलियों—का प्रबन्ध करने की अनुमति दी है। फिर भी इसकी वजह से खुश होने के बजाए, मनुष्य चिंता से व्याकुल है। उसका पूरा जीवन एक मनस्ताप का, और वह यहाँ-वहाँ भागने का, और खालीपन में कुछ मौज मस्ती जोड़ने का है, और उसके पूरे जीवन में कोई नए अविष्कार और नई रचनाएँ नहीं हैं। कोई भी अपने आप को इस खोखले जीवन से छुड़ाने में समर्थ नहीं है, किसी ने कभी भी सार्थक जीवन की खोज नहीं की है, और किसी ने कभी भी एक वास्तविक जीवन का अनुभव नहीं किया है। यद्यपि आज सभी लोग मेरे चमकते हुए प्रकाश के नीचे जीवन बिताते हैं, फिर भी वे स्वर्ग के जीवन के बारे में कुछ नहीं जानते हैं।

25.8.19

4. पवित्र शिष्टता जो परमेश्वर के विश्वासियों को धारण करनी चाहिए

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने से पहले, मनुष्य स्वभाविक रूप से परमेश्वर का अनुसरण करता था और उसके वचनों का आज्ञापालन करता था। वह स्वभाविक रूप से सही समझ और सद्विवेक का था, और सामान्य मानवता का था। शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने के बाद, उसकी मूल समझ, सद्विवेक, और मानवता मंदी हो गईं और शैतान के द्वारा खराब हो गईं। इस प्रकार, उसने परमेश्वर के प्रति अपनी आज्ञाकारिता और प्रेम को खो दिया है। मनुष्य की समझ धर्मपथ से हट गई है, उसकी समझ एक जानवर के समान हो गई है, और परमेश्वर के प्रति उसकी विद्रोहशीलता और भी अधिक लगातार और गंभीर हो गई है। अभी तक मनुष्य इसे न तो जानता है और न ही पहचानता है, और केवल आँख बंद करके विरोध और विद्रोह करता है।… "सामान्य समझ" आज्ञापालन और परमेश्वर के प्रति विश्वास योग्य बने रहने को, परमेश्वर के प्रति तड़प, परमेश्वर के प्रति स्पष्ट, और परमेश्वर के प्रति सद्सद्विवेक होने को संदर्भित करती है। यह परमेश्वर के प्रति एक हृदय और मन होने को संदर्भित करती है, और जानबूझकर परमेश्वर का विरोध करने को नहीं। वे जो धर्मपथ से हटनेवाली समझ के हैं वे ऐसे नहीं हैं। मनुष्य शैतान के द्वारा भ्रष्ट किया गया था इसिलिए, उसने परमेश्वर के बारे में धारणाओं का उत्पादन किया है, और परमेश्वर के लिए उसके पास निष्ठा या चाहत नहीं है, और परमेश्वर के प्रति कुछ भी कहने के लिए सद्विवेक नहीं है।

24.8.19

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II परमेश्वर का धर्मी स्वभाव" (अंश I)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II परमेश्वर का धर्मी स्वभाव" (अंश I)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "मानवजाति के प्रति सृष्टिकर्ता की सच्ची भावनाएं लोग अकसर कहते हैं कि परमेश्वर को जानना सरल बात नहीं है। फिर भी, मैं कहता हूं कि परमेश्वर को जानना बिलकुल भी कठिन विषय नहीं है, क्योंकि वह बार बार मनुष्य को अपने कामों का गवाह बनने देता है। परमेश्वर ने कभी भी मनुष्य के साथ संवाद करना बंद नहीं किया है; उसने कभी भी मनुष्य से अपने आपको गुप्त नहीं रखा है, न ही उसने स्वयं को छिपाया है। उसके विचारों, उसके उपायों, उसके वचनों और उसके कार्यों को मानवजाति के लिए पूरी तरह से प्रकाशित किया गया है। इसलिए, जब तक मनुष्य परमेश्वर को जानने की कामना करता है, वह सभी प्रकार के माध्यमों और पद्धतियों के जरिए उन्हें समझ और जान सकता है। मनुष्य क्यों आँख बंद करके सोचता है कि परमेश्वर ने जानबूझकर उससे परहेज किया है, कि परमेश्वर ने जानबूझकर स्वयं को मानवता से छिपाया है, कि परमेश्वर का मनुष्य को उन्हें समझने या जानने देने का कोई इरादा नहीं है, उसका कारण यह है कि मनुष्य नहीं जानता है कि परमेश्वर कौन है, और न ही वह परमेश्वर को समझने की इच्छा करता है; उससे भी बढ़कर, वह सृष्टिकर्ता के विचारों, वचनों या कार्यों की परवाह नहीं करता है...।

23.8.19

Hindi Christian Worship Song | सम्राट की तरह शासन करता है सर्वशक्तिमान परमेश्वर


Hindi Christian Worship Song | सम्राट की तरह शासन करता है सर्वशक्तिमान परमेश्वर


कितना सुंदर! उसके कदम हैं ज़ैतून के पर्वत पर। सुनो, मिलकर गाते ऊँचे सुर में हम पहरेदार, लौट आया सिय्योन में परमेश्वर। देख चुके हम यरूशलेम का सूनापन! मिलकर गाएँ, गाएँ ख़ुशी से हम अब, परमेश्वर ने हमें आराम दिया और यरूशलेम का उद्धार किया। दिखलाता पवित्र भुजा अपनी परमेश्वर सकल देशों के सम्मुख, सच में जैसा है वैसा दिखता परमेश्वर। देखते परमेश्वर द्वारा उद्धार लोग सारे धरती पर।

22.8.19

3. परमेश्वर पर विश्वास में, तुम्हें परमेश्वर के साथ सामान्य सम्बन्ध स्थापित करना चाहिए।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर में विश्वास करने में तुम्हें कम से कम परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध रखने के विषय का समाधान करना चाहिए। परमेश्वर के साथ सामान्य संबंध के बिना परमेश्वर में विश्वास करने का महत्व खो जाता है। परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध को स्थापित करना परमेश्वर की उपस्थिति में अपने हृदय को शांत करने के द्वारा ही किया जा सकता है। परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध को स्थापित करने का अर्थ है परमेश्वर के किसी भी कार्य पर संदेह न करना या उसका इनकार न करना, बल्कि उसके प्रति समर्पित रहना, और इससे बढ़कर इसका अर्थ है परमेश्वर की उपस्थिति में सही इरादों को रखना, स्वयं के बारे में न सोचते हुए हमेशा परमेश्वर के परिवार की बातों को सबसे महत्वपूर्ण विषय के रूप में सोचना, फिर चाहे तुम कुछ भी क्यों न कर रहे हो, परमेश्वर के अवलोकन को स्वीकार करना और परमेश्वर के प्रबंधनों के प्रति समर्पण करना। परमेश्वर की उपस्थिति में तुम जब भी कुछ करते हो तो तुम अपने हृदय को शांत कर सकते हो; यदि तुम परमेश्वर की इच्छा को नहीं भी समझते, फिर भी तुम्हें अपनी सर्वोत्तम योग्यता के साथ अपने कर्त्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए।

21.8.19

कलिसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन "परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार" (भाग एक)


कलिसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन "परमेश्वर द्वारा आवासित देह का सार" (भाग एक)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर

कहते हैं: "देहधारण का अर्थ यह है कि परमेश्वर देह में प्रकट होता है, और वह अपनी सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करने आता है। इसलिए, परमेश्वर को देहधारी होने के लिए, उसे सबसे पहले देह, सामान्य मानवता वाली देह अवश्य होना चाहिए; यह, कम से कम, सत्य अवश्य होना चाहिए। वास्तव में, परमेश्वर का देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने वास्तविक सार में देहधारी बन जाता है, एक मनुष्य बन जाता है।

20.8.19

"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" क्लिप 7 - परमेश्वर इन्सान को शैतान से कैसे बचाता है


"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" क्लिप 7 - परमेश्वर इन्सान को शैतान से कैसे बचाता है


बाइबल में कहा गया है, “क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए...” (1 पतरस 4:17)। (© BSI) अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर मनुष्य को शुद्ध करके बचाने वाले सभी सत्य व्यक्त करते हैं, और वे हमें अपना धर्मी, प्रतापी, और अपमानित न किया जा सकनेवाला स्वभाव प्रदर्शित करते हैं। परमेश्वर का अंत के दिनों का न्याय-कार्य मनुष्य को बचाने के लिए किया जाता है, ताकि लोग शैतान के दुष्प्रभावों को तोड़ सकें और सही मायनों में परमेश्वर की शरण में आ सकें।

19.8.19

Hindi Christian Video "तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" क्लिप 6


Hindi Christian Video "तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" क्लिप 6


संगठित धर्म में ऐसे बहुतेरे लोग हैं, जो यह मानते हैं कि, पादरी और एल्डर्स धार्मिक दुनिया के सत्ताधारी हैं और पाखंडी फरीसियों के रास्ते पर चलते हैं, अत: हालांकि वे पादरियों और एल्डर्स को स्वीकार कर उनका अनुसरण करते हैं, तो भी उनका विश्‍वास प्रभु यीशु में है, पादरियों और एल्डर्स में नहीं। ऐसे में फिर ऐसा कैसे कहा जा सकता है कि वे जिस रास्ते पर चलते हैं, वह फरीसियों का है? क्या संगठित धर्म में रहकर परमेश्वर में विश्वास करने वाले को वाकई बचाया नहीं जा सकता?

18.8.19

2. सच्चे मार्ग की खोज में तुम्हें तर्कशक्ति से सम्पन्न अवश्य होना चाहिए




परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर और मनुष्य को बराबर नहीं कहा जा सकता। उसका सार और उसका कार्य मनुष्य के लिये सर्वाधिक अथाह और समझ से परे है। यदि परमेश्वर व्यक्तिगत रूप में अपना कार्य न करे, और मनुष्यों के संसार में अपने वचन न कहें, तो मनुष्य कभी भी परमेश्वर की इच्छा को समझ नहीं सकता है, और इसलिए, यहाँ तक कि जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भी परमेश्वर को समर्पित कर दिया है, वे भी उसके अनुमोदन को पाने में सक्षम नहीं हैं। परमेश्वर के कार्य के बिना, चाहे मनुष्य कितना भी अच्छा करे, उसका कोई मूल्य नहीं होगा, क्योंकि परमेश्वर के विचार मनुष्य के विचार से सदैव ऊँचे होंगे, और परमेश्वर की बुद्धि मनुष्यों के लिये अपरिमेय है। और इसीलिये मैं कहता हूँ कि जिन्होंने परमेश्वर और उसके काम की "वास्तविक प्रकृति का पता लगाया" है कि प्रभावहीन है, वे अभिमानी और अज्ञानी हैं। मनुष्य को परमेश्वर के कार्य को परिभाषित नहीं करना चाहिए; साथ ही, मनुष्य परमेश्वर के कार्य को परिभाषित नहीं कर सकता है।

17.8.19

Hindi Christian Video "तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" क्लिप 5


Hindi Christian Video "तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" क्लिप 5


धार्मिक दुनिया के पादरी और एल्डर्स बाइबल में पौलुस के उन कथनों पर अड़े रहते हैं, जिनमें कहा गया है कि,“पूरा शास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से आया है।” इस तरह वे मानते हैं कि बाइबल पूरी तरह से परमेश्वर के ही वचन हैं और वे बाइबल को गौरवान्वित करने और उसकी गवाही देने में कोई कसर नहीं छोड़ते तथा इस तरह वे बाइबल और परमेश्वर को एक-दूसरे के बराबर बना देते हैं। वे मानते हैं कि बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व करती है और प्रभु में विश्‍वास करना यानी बाइबल में विश्‍वास करना है। तो क्या पूरी बाइबल परमेश्वर से ही प्रेरित है? क्या बाइबल में प्रभु, परमेश्वर हैं? परमेश्वर के कार्य ने बाइबल को जन्म दिया है या बाइबल ने परमेश्वर के कार्य को जन्म दिया है।

16.8.19

मसीह के कथन "भ्रष्ट मानवजाति को देह धारण किए हुए परमेश्वर के उद्धार की अत्यधिक आवश्यकता है" (अंश IV)


मसीह के कथन "भ्रष्ट मानवजाति को देह धारण किए हुए परमेश्वर के उद्धार की अत्यधिक आवश्यकता है" 

(अंश IV)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "देह के उसके कार्य अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, जिसे कार्य के सम्बन्ध में कहा गया है, और वह परमेश्वर जो अंततः कार्य का समापन करता है वह देहधारी परमेश्वर है, और आत्मा नहीं है। कुछ लोग विश्वास करते हैं कि शायद परमेश्वर किसी समय पृथ्वी पर आए और लोगों को दिखाई दे, जिसके बाद वह समस्त मानवजाति का न्याय करेगा, किसी को छोड़े बिना उन्हें एक एक करके जांचेगा। ऐसे लोग जो इस रीति से सोचते हैं वे देहधारण के इस चरण के कार्य को नहीं जानते हैं। परमेश्वर एक एक करके मनुष्य का न्याय नहीं करता है, और एक एक करके मनुष्य की जांच नहीं करता है; ऐसा करना न्याय का कार्य नहीं होगा। क्या समस्त मानवजाति की भ्रष्टता एक समान नहीं है? क्या मनुष्य का मूल-तत्व सब एक जैसा नहीं है? जिसका न्याय किया जाता है वह मनुष्य का भ्रष्ट मूल-तत्व है, मनुष्य का मूल-तत्व जिसे शैतान के द्वारा भ्रष्ट किया गया है, और मनुष्य के समस्त पाप हैं। परमेश्वर मनुष्य की छोटी-मोटी एवं मामूली त्रुटियों का न्याय नहीं करता है। न्याय का कार्य प्रतिनिधिक है, और इसे विशेषकर किसी निश्चित व्यक्ति के लिए क्रियान्वित नहीं किया जाता है। इसके बजाए, यह ऐसा कार्य है जिसमें समस्त मानवजाति के न्याय को दर्शाने के लिए लोगों के एक समूह का न्याय किया जाता है। लोगों के एक समूह पर व्यक्तिगत रूप से अपने कार्य को क्रियान्वित करने के द्वारा, देह में प्रगट परमेश्वर समूची मानवजाति के कार्य को दर्शाने के लिए अपने कार्य का उपयोग करता है, जिसके पश्चात् यह धीरे धीरे फैलता जाता है। न्याय का कार्य भी इस प्रकार ही है। परमेश्वर किसी निश्चित किस्म के व्यक्ति या लोगों के किसी निश्चित समूह का न्याय नहीं करता है, परन्तु समूची मानवजाति की अधार्मिकता का न्याय करता है - परमेश्वर के प्रति मनुष्य का विरोध, उदाहरण के लिए, या उसके विरुद्ध मनुष्य का अनादर, या परमेश्वर के कार्य में गड़बड़ी डालना, एवं इत्यादि। जिसका न्याय किया जाता है वह परमेश्वर के विरुद्ध मनुष्य का मूल-तत्व है, और यह कार्य अंतिम दिनों के विजय का कार्य है। देहधारी परमेश्वर का कार्य एवं वचन जिसकी गवाही मनुष्य के द्वारा दी जाती है वे अंतिम दिनों के दौरान बड़े श्वेत सिंहासन के सामने न्याय के कार्य हैं, जिसे पिछले समयों के दौरान मनुष्य के द्वारा सोचा विचारा गया था। ऐसा कार्य जिसे वर्तमान में देहधारी परमेश्वर के द्वारा किया जा रहा है वह बिलकुल उस बड़े श्वेत सिंहासन के सामने का न्याय है। आज का देहधारी परमेश्वर वह परमेश्वर है जो अंतिम दिनों के दौरान समूची मानवजाति का न्याय करता है। यह देह एवं उसका कार्य, वचन, और समूचा स्वभाव वे उसकी सम्पूर्णता हैं। यद्यपि उसके कार्य का दायरा सीमित है, और सीधे तौर पर समूचे विश्व को शामिल नहीं करता है, फिर भी न्याय के कार्य का मूल-तत्व समस्त मानवजाति का प्रत्यक्ष न्याय है; यह ऐसा कार्य नहीं है जिसे केवल चीन के लिए, या कम संख्या के लोगों के लिए आरम्भ किया गया है। देह में परमेश्वर के कार्य के दौरान, यद्यपि इस कार्य का दायरा समूचे विश्व को शामिल नहीं करता है, फिर भी यह समूचे विश्व के कार्य को दर्शाता है, जब वह अपनी देह के कार्य के दायरे के भीतर उस कार्य का समापन करता है उसके पश्चात्, वह तुरन्त ही इस कार्य को समूचे विश्व में फैला देगा, उसी रीति से जैसे यीशु के पुनरूत्थान एवं स्वर्गारोहण के बाद उसका सुसमाचार सारी दुनिया में फैल गया था। इसकी परवाह किए बगैर कि यह आत्मा का कार्य है या देह का कार्य, यह ऐसा कार्य है जिसे एक सीमित दायरे के भीतर सम्पन्न किया गया है, परन्तु जो समूचे विश्व के कार्य को दर्शाता है। अन्त के दिनों के दौरान, परमेश्वर अपनी देहधारी पहचान का उपयोग करते हुए अपने कार्य को करने के लिए प्रगट हुआ है, और देह में प्रगट परमेश्वर वह परमेश्वर है जो बड़े श्वेत सिंहासन के सामने मनुष्य का न्याय करता है। इसकी परवाह किए बगैर कि वह आत्मा है या देह, वह जो न्याय का काम करता है वही ऐसा परमेश्वर है जो अंतिम दिनों के दौरान मनुष्य का न्याय करता है। उसके कार्य के आधार पर इसे परिभाषित किया गया है, परन्तु उसके बाहरी रंग-रूप एवं विभिन्न अन्य कारकों के अनुसार इसे परिभाषित नहीं किया गया है। यद्यपि मनुष्य के पास इन वचनों के विषय में धारणाएं हैं, फिर भी कोई देहधारी परमेश्वर के न्याय एवं समस्त मानवजाति पर विजय के तथ्य को नकार नहीं सकता है। इसकी परवाह किए बगैर कि किस प्रकार इसका मूल्यांकन किया जाता है, तथ्य, आखिरकार, तथ्य ही हैं। कोई यह नहीं कह सकता है कि "यह कार्य परमेश्वर के द्वारा किया गया है, परन्तु यह देह परमेश्वर नहीं है।" यह बकवास है, क्योंकि इस कार्य को देहधारी परमेश्वर को छोड़कर किसी के भी द्वारा नहीं किया जा सकता है। जबकि इस कार्य को पहले से ही पूरा किया जा चुका है, तो इस कार्य के बाद मनुष्य के विषय में परमेश्वर के न्याय का कार्य दूसरी बार प्रगट नहीं होगा; दूसरे देहधारी परमेश्वर ने पहले से ही समूचे प्रबंधन के सभी कार्यों का समापन कर लिया है, और परमेश्वर के कार्य का चौथा चरण नहीं होगा। क्योंकि वह मनुष्य है जिसका न्याय किया जाता है, मनुष्य जो हाड़-मांस का है और उसे भ्रष्ट किया जा चुका है, और यह शैतान का आत्मा नहीं है जिसका सीधे तौर पर न्याय किया जाता है, न्याय के कार्य को आत्मिक संसार में सम्पन्न नहीं किया जाता है, परन्तु मनुष्यों के बीच किया जाता है। कोई भी मनुष्य की देह की भ्रष्टता का न्याय करने के लिए देह में प्रगट परमेश्वर की अपेक्षा अधिक उपयुक्त, एवं योग्य नहीं है। यदि न्याय सीधे तौर पर परमेश्वर के आत्मा के द्वारा किया गया होता, तो यह सभी के द्वारा स्वेच्छा से स्वीकार्य नहीं होता। इसके अतिरिक्त, ऐसे कार्य को स्वीकार करना मनुष्य के लिए कठिन होगा, क्योंकि आत्मा मनुष्य के साथ आमने-सामने आने में असमर्थ है, और इस कारण से, प्रभाव तत्काल नहीं होंगे, और मनुष्य परमेश्वर के अनुल्लंघनीय स्वभाव को साफ-साफ देखने में बिलकुल भी सक्षम नहीं होगा। यदि देह में प्रगट परमेश्वर मानवजाति की भ्रष्टता का न्याय करे केवल तभी शैतान को पूरी तरह से हराया जा सकता है। मनुष्य के समान होकर जो सामान्य मानवता को धारण करता है, देह में प्रगट परमेश्वर सीधे तौर पर मनुष्य की अधार्मिकता का न्याय कर सकता है; यह उसकी अंतर्निहित पवित्रता, एवं उसकी असाधारणता का चिन्ह है। केवल परमेश्वर ही योग्य है, एवं उस स्थिति में है कि मनुष्य का न्याय करे, क्योंकि वह सत्य एवं धार्मिकता को धारण किए हुए है, और इस प्रकार वह मनुष्य का न्याय करने में सक्षम है। ऐसे लोग जो सत्य एवं धार्मिकता से रहित हैं वे दूसरों का न्याय करने के लायक नहीं हैं। यदि इस कार्य को परमेश्वर के आत्मा के द्वारा किया जाता, तो एक छोटा सा कीड़ा (लीख) भी शैतान पर विजय नहीं पाता। आत्मा स्वभाव से ही नश्वर प्राणियों कहीं अधिक ऊँचा है, और परमेश्वर का आत्मा स्वभाव से ही पवित्र है, और देह के ऊपर जयवंत है। यदि आत्मा ने इस कार्य को सीधे तौर पर किया होता, तो वह मनुष्य की सारी अनाज्ञाकारिता का न्याय करने में सक्षम नहीं होता, और मनुष्य की सारी अधार्मिकता को प्रगट नहीं कर सकता था। क्योंकि परमेश्वर के विषय में मनुष्य की धारणाओं के माध्यम से न्याय के कार्य को भी सम्पन्न किया जाता है, और मनुष्य के पास कभी भी आत्मा के विषय में कोई धारणाएं नहीं है, और इस प्रकार आत्मा मनुष्य की अधार्मिकता को बेहतर तरीके से प्रगट करने में असमर्थ है, और ऐसी अधार्मिकता को पूरी तरह से उजागर करने में तो बिलकुल भी समर्थ नहीं है। देहधारी परमेश्वर उन सब लोगों का शत्रु है जो उसे नहीं जानते हैं। उसके प्रति मनुष्य की धारणाओं एवं विरोध का न्याय करने के माध्यम से, वह मानवजाति की सारी अनाज्ञाकारिता का खुलासा करता है। देह में उसके कार्य के प्रभाव आत्मा के कार्य की अपेक्षा अधिक प्रगट हैं। और इस प्रकार, समस्त मानवजाति के न्याय को आत्मा के द्वारा सीधे तौर पर सम्पन्न नहीं किया जाता है, बल्कि यह देहधारी परमेश्वर का कार्य है। देह में प्रगट परमेश्वर को मनुष्य के द्वारा देखा एवं छुआ जा सकता है, और देह में प्रगट परमेश्वर पूरी तरह से मनुष्य पर विजय पा सकता है। देहधारी परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते में, मनुष्य विरोध से आज्ञाकारिता की ओर, सताव से स्वीकार्यता की ओर, सोच विचार से ज्ञान की ओर, और तिरस्कार से प्रेम की ओर प्रगति करता है। ये देहधारी परमेश्वर के कार्य के प्रभाव हैं। मनुष्य को केवल परमेश्वर के न्याय की स्वीकार्यता के माध्यम से ही बचाया जाता है, मनुष्य केवल परमेश्वर के मुँह के वचनों के माध्यम से ही धीरे धीरे उसे जानने लगता है, परमेश्वर के प्रति उसके विरोध के दौरान उसके द्वारा मनुष्य पर विजय पाया जाता है, और परमेश्वर की ताड़ना की स्वीकार्यता के दौरान वह उससे जीवन की आपूर्ति प्राप्त करता है। यह समस्त कार्य देहधारी परमेश्वर के कार्य हैं, और आत्मा के रूप में उसकी पहचान में परमेश्वर का कार्य नहीं है। देहधारी परमेश्वर के द्वारा किया गया कार्य सर्वश्रेष्ठ कार्य है, और अति गंभीर कार्य है, और परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों का अति महत्वपूर्ण भाग देहधारण के दो चरणों के कार्य हैं। मनुष्य की अत्यंत गंभीर भ्रष्टता देहधारी परमेश्वर के कार्य में एक बड़ी बाधा है। विशेष रूप में, अंतिम दिनों के लोगों पर क्रियान्वित किया गया कार्य बहुत ही कठिन है, और माहौल प्रतिकूल है, और हर किस्म के लोगों की क्षमता बहुत ही कमज़ोर है। फिर भी इस कार्य के अंत में, यह बिना किसी त्रुटि के अब भी उचित प्रभाव को हासिल करेगा; यह देह के कार्य का प्रभाव है, और यह प्रभाव आत्मा के कार्य की अपेक्षा अधिक रज़ामन्द करने वाला (मनाने वाला) है। देहधारी परमेश्वर के द्वारा तीन चरणों के कार्य का समापन किया जाएगा, और इसे देहधारी परमेश्वर के द्वारा अवश्य पूरा किया जाना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण एवं सबसे निर्णायक कार्य को देहधारी परमेश्वर के द्वारा किया गया है, और मनुष्य के उद्धार को व्यक्तिगत रूप से देहधारी परमेश्वर के द्वारा अवश्य सम्पन्न किया जाना चाहिए। यद्यपि समस्त मानवजाति को लगता है कि देह में प्रगट परमेश्वर का मनुष्य से कोई सम्बन्ध नहीं है, फिर भी वास्तव में यह देह समूची मानवजाति की नियति एवं अस्तित्व से सम्बन्धित है।" — "वचन देह में प्रकट होता है" से उद्धृत

15.8.19

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धाम्रिक दुनिया के पादरी और एल्डर्स लोगों के सामने अक्सर बाइबल की व्याख्या करते हैं, और उन्हें बाइबल के साथ बांधे रखते हैं। ऐसा करके क्या वे सही मायनों में प्रभु को गौरवान्वित कर रहे हैं, और उनकी गवाही दे रहे हैं? ज़्यादातर लोग इसे समझ नहीं पाते। पादरी और एल्डर्स बाइबल में मनुष्य के कथनों को गौरवान्वित करते हैं, बाइबल में मनुष्य के कथनों का उपयोग प्रभु के वचनों का स्थान लेने और उनकी अवहेलना करने के लिए करते हैं, तथा लोगों को अंधविश्वासों में और बाइबल की आराधना करने की ओर ले जाते हैं, ताकि जब परमेश्वर अपने नये कार्य करें तब बहुत-से लोग सिर्फ बाइबल को जानें और परमेश्वर को न जानें, इस हद तक कि वे ठीक बाइबल की ही तरह देहधारी परमेश्‍वर को भी बेहिचक सूली पर चढ़ा दें।

14.8.19

1. परमेश्वर पर विश्वास में नए कार्य के प्रति लोगों के विरोध का स्रोत तुम्हें अवश्य मालूम होना चाहिए।

अध्याय 7 सत्य के अन्य पहलू जो कि न्यूनतम हैं जिन्हें नए विश्वासियों द्वारा समझा जाना चाहिए

1. परमेश्वर पर विश्वास में नए कार्य के प्रति लोगों के विरोध का स्रोत तुम्हें अवश्य मालूम होना चाहिए।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मनुष्य के द्वारा परमेश्वर का विरोध करने का कारण, एक ओर मनुष्य के भ्रष्ट स्वभाव से, और दूसरी ओर, परमेश्वर के प्रति अज्ञानता और परमेश्वर के कार्य के सिद्धांतों की और मनुष्य के प्रति उनकी इच्छा की समझ की कमी से उत्पन्न होता है। इन दोनों पहलुओं का, परमेश्वर के प्रति मनुष्य के प्रतिरोध के इतिहास में विलय होता है। नौसिखिए विश्वासी परमेश्वर का विरोध करते हैं क्योंकि ऐसा विरोध उनकी प्रकृति में होता है, जबकि कई वर्षों से विश्वास वाले लोगों में परमेश्वर का विरोध, उनके भ्रष्ट स्वभाव के अलावा, परमेश्वर के प्रति उनकी अज्ञानता का परिणाम है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "वे सब जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं वे ही परमेश्वर का विरोध करते हैं" से

13.8.19

"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" क्लिप 3 - धार्मिक फरीसियों के सार को कैसे समझें


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समझें


धार्मिक दुनिया के पादरी और एल्डर्स ऐसे लोग हैं, जो कलीसियाओं में परमेश्वर की सेवा करते हैं। वे अक्सर बाइबल पढ़ते हैं और विश्वासियों को धर्मसंदेश सुनाते हैं, उनके लिए प्रार्थना करते हैं, और उनके प्रति करुणा प्रदर्शित करते हैं, लेकिन हम उन्हें पाखंडी फरीसी क्यों कहते हैं? ख़ास तौर पर प्रभु की वापसी को लेकर उनके रवैये के मामले में, वे लोग न केवल किसी भी चीज़ की खोज और जांच-पड़ताल नहीं करते, बल्कि उसके विपरीत वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की अंधाधुंध अवहेलना और निंदा करते हैं। आख़िर ऐसा क्यों है?

12.8.19

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धार्मिक दुनिया के पादरी और एल्डर्स क्यों सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध कर उन्‍हें दंडित करते हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि वे देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त सत्य से नफ़रत करते हैं, उस सत्‍य के विरुद्ध हैं और उसको स्वीकार नहीं कर सकते। इसी वजह से वे मसीह को नकारते हैं, उनका विरोध करते हैं और उनको दंडित करते हैं। यह उनके सत्य से नफ़रत करनेवाले शैतानी सार को उजागर करता है। मसीह जो सत्य व्यक्त करते हैं वह अतिसामर्थ्‍यवान और अधिकारपूर्ण है। वह मानवजाति को जागृत कर उसे बचा सकता है और लोगों को शैतान की सारी ताकतों को तोड़कर परमेश्वर की शरण में आने की प्रेरणा दे सकता है।

प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण कदम

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