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22.7.19

3. तुम सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच अंतर को कैसे बता सकते हो?

सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया-परमेश्वर का देहधारण,प्रभु यीशु की वापसी,परमेश्वर का कार्य,परमेश्वर को जानना

3. तुम सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच अंतर को कैसे बता सकते हो?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर देहधारी हुआ और मसीह कहलाया, और इसलिए वह मसीह, जो लोगों को सत्य दे सकता है, परमेश्वर कहलाता है। इसके बारे में और कुछ भी अधिक कहने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह परमेश्वर के तत्व को स्वयं में धारण किए रहता है, और अपने कार्य में परमेश्वर के स्वभाव और बुद्धि को धारण करता है, और ये चीजें मनुष्य के लिये अप्राप्य हैं। जो अपने आप को मसीह कहते हैं, फिर भी परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकते, वे सभी धोखेबाज़ हैं। मसीह पृथ्वी पर केवल परमेश्वर की अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि वह देह है जिसे धारण करके परमेश्वर लोगों के बीच रहकर कार्य पूर्ण करता है। यह वह देह नहीं है जो किसी भी मनुष्य के द्वारा प्रतिस्थापित कियाजा सके, बल्कि वह देह है, जो परमेश्वर के कार्य को पृथ्वी पर अच्छी तरह से करता है और परमेश्वर के स्वभाव को अभिव्यक्त करता है, और अच्छी प्रकार से परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करता है, और मनुष्य को जीवन प्रदान करता है। कभी न कभी, उन धोखेबाज़ मसीह का पतन होगा, हालांकि वे मसीह होने का दावा करते हैं, किंतु उनमें किंचितमात्र भी मसीह का सार-तत्व नहीं होता। इसलिए मैं कहता हूं कि मसीह की प्रमाणिकता मनुष्य के द्वारा परिभाषित नहीं की जा सकती है, परन्तु स्वयं परमेश्वर के द्वारा उत्तर दिया और निर्णय लिया जा सकता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है" से

21.7.19

क्या आपने सच्चा प्रायश्चित किया है?


Hindi Christian Skit | क्या आपने सच्चा प्रायश्चित किया है?


किसी समय, झांग मिंगेन एक गृह कलीसिया में प्रचारक था। उसने बरसों प्रभु में आस्था रखी और उस दौरान, वह हर समय, प्रचार करता, कार्य करता, कष्ट उठाता, और प्रभु के लिये ख़ुद को खपाता था। इस तरह उसे लगता था कि उसने सच्चा प्रायश्चित और बदलाव हासिल कर लिया है। लेकिन, कलीसिया के चुनाव में, झांग मिंगेन ने दूसरे भाई-बहनों को अगुवा और उपयाजक चुने जाते देखा, जबकि उसे सभाओं के आयोजन का कार्य दिया गया। हालाँकि ऊपर से तो उसने स्वीकृति और समर्पण की भावना दिखाई, लेकिन वह बेहद नाख़ुश था। जब उसकी पत्नी उससे कहती है कि उसने सच्चा प्रायश्चित नहीं किया है, न ही उसमें सच्चा बदलाव आया है, तो झांग मिंगेन उसकी इस बात से आश्वस्त नहीं हो पाता, और फिर एक जोरदार बहस छिड़ जाती है...।

19.7.19

Hindi Christian Movie "स्वर्गिक राज्य की प्रजा" क्लिप 2



Hindi Christian Movie "स्वर्गिक राज्य की प्रजा" क्लिप 2


प्रभु यीशु ने कहा, "मैं तुम से सच कहता हूँ कि जब तक तुम न फिरो और बालकों के समान न बनो, तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे" (मत्ती 18:3)। (© BSI) चेंग नुओ एक ईसाई महिला है जो एक ईमानदार व्यक्ति बनने की कोशिश कभी नहीं छोड़ती है। कई सालों तक परमेश्वर के कार्य से गुजरने के बाद, वह पहले से कम झूठ बोलने लगी है और अहले सुबह से लेकर देर रात तक कलीसिया के लिए काम करती है। वह कष्ट उठाते हुए खुद को खपा रही है। वह अपने आपको एक ईमानदार महिला समझती है जो परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप काम करती है।

18.7.19

2. तुम्हें पवित्र आत्मा के और दुष्ट आत्माओं के कार्य के बीच में कैसे विभेद करना चाहिए?



परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
पवित्र आत्मा का कार्य कुल मिलाकर लोगों को इस योग्य बनाना है कि वे लाभ प्राप्त कर सकें; यह कुल मिलाकर लोगों की उन्नति के विषय में है; ऐसा कोई कार्य नहीं है जो लोगों को लाभान्वित न करता हो। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि सत्य गहरा है या उथला, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उन लोगों की क्षमता किसके समान है जो सत्य को स्वीकार करते हैं, जो कुछ भी पवित्र आत्मा करता है, यह सब लोगों के लिए लाभदायक है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का काम" से

17.7.19

"स्वर्गिक राज्य की प्रजा" क्लिप 1 - एक ईसाई ईमानदारी से काम करके परमेश्वर से आशीष पाता है


Hindi Christian Movie"स्वर्गिक राज्य की प्रजा" क्लिप 1 - एक ईसाई ईमानदारी से काम करके परमेश्वर से आशीष पाता

 है


प्रभु यीशु ने कहा, "मैं तुम से सच कहता हूँ कि जब तक तुम न फिरो और बालकों के समान न बनो, तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे" (मत्ती 18:3)। (© BSI) ईसाई महिला चेंग नुओ, एक डॉक्टर है। अपने जीवन में, वह प्रभु के वचनों के अनुसार एक ईमानदार महिला बनने की कोशिश करती है। एक बार, एक रोगी के उपचार पर हुए विवाद के दौरान, उसने अस्पताल की गलतियों के बारे में ईमानदारी से मृतक रोगी के परिवार के सदस्यों को सब कुछ बता दिया। इसकी वजह से अस्पताल की प्रतिष्ठा पर बुरा असर पड़ा, और चिकित्सकीय कदाचार के आधार पर उसे अस्पताल से बर्खास्त कर दिया गया।

15.7.19

Hindi Christian Skit | क्या हम उद्धार पाकर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं?


Hindi Christian Skit | क्या हम उद्धार पाकर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं?


झांग मुदे एक गृह कलीसिया में प्रचारक है, उसका मानना है कि "क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है" (रोमियों 10:10)।(© BSI) उसे लगता है कि चूँकि वह प्रभु यीशु में विश्वास रखता है, इसलिये वह पहले से ही धार्मिक है, उसे पहले ही उद्धार प्राप्त हो चुका है। जब प्रभु यीशु लौटकर आयेंगे, तो उसे सीधे स्वर्ग के राज्य में आरोहित कर दिया जायेगा। एक दिन, उसकी बेटी किसी दूसरी जगह पर मिशनरी कार्य से लौटकर घर आती है। वह झांग मुदे के इस बरसों पुराने दृष्टिकोण पर सवाल उठाती है। उसके बाद, तीन सदस्यों के परिवार में इस बात पर ज़बर्दस्त बहस छिड़ जाती है कि क्या उद्धार प्राप्त कर लेने मात्र से किसी को स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का अधिकार हो सकता है, किस प्रकार के लोग स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं, साथ ही कई संबंधित विषयों पर चर्चा होती है...

14.7.19

Hindi Christian Song | व्यवहारिक परमेश्वर में आस्था से बहुत लाभ हैं | Thank God for His Love



Hindi prayer song | व्यवहारिक परमेश्वर में आस्था से बहुत लाभ हैं | Thank God for His Love


मानव का पुत्र निरंतर बोलता है। ये मामूली इंसान परमेश्वर के काम में हर कदम पर अगुवाई करता है हमारी। बहुत से इम्तहानों, ताड़नाओं से गुज़रे हैं हम, और मौत की परीक्षा से भी गुज़रे हैं हम। परमेश्वर की धार्मिकता और प्रताप का पता चलता है हमें। परमेश्वर की करुणा और प्रेम का आनंद लेते हैं हम।

13.7.19

1.तुम्हें परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के कार्य में कैसे विभेद करना चाहिए?

अध्याय 6 विभेदन के कई रूप जिन्हें परमेश्वर में तुम्हारे विश्वास में तुम्हें धारण करना चाहिए

1.तुम्हें परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के कार्य में कैसे विभेद करना चाहिए?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अनुग्रह के युग में, यीशु ने भी काफ़ी बातचीत की और काफ़ी कार्य किया। वह यशायाह से किस प्रकार भिन्न था? वह दानिय्येल से किस प्रकार भिन्न था? क्या वह कोई भविष्यद्वक्ता था? ऐसा क्यों कहा जाता है कि वह मसीहा है? उनके मध्य क्या भिन्न्ताएँ हैं? वे सभी मनुष्य थे जिन्होंने वचन बोले थे, और मनुष्य को उनके वचन लगभग एक से प्रतीत होते थे। उन सभी ने बातें की और कार्य किए। पुराने विधान के भविष्यवद्क्ताओं ने भविष्यवाणियाँ की, और उसी तरह से, यीशु भी वैसा ही कर सका। ऐसा क्यों है? यहाँ कार्य की प्रकृति के आधार पर भिन्नता है। इस मामले को समझने के लिए, तुम देह की प्रकृति पर विचार नहीं कर सकते हो और तुम्हें किसी व्यक्ति के वचनों की गहराई या सतहीपन पर विचार नहीं करना चाहिए। तुम्हें अवश्य हमेशा सबसे पहले उसके कार्य पर और उन प्रभावों पर विचार करना चाहिए जिसे उसका कार्य मनुष्य में प्राप्त करता है। उस समय यशायाह के द्वारा कही गई भविष्यवाणियों ने मनुष्य का जीवन प्रदान नहीं किया, और दानिय्येल जैसे लोगों द्वारा प्राप्त किए गए संदेश मात्र भविष्यवाणियाँ थीं न कि जीवन का मार्ग थीं।

10.7.19

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "केवल परमेश्वर के प्रबंधन के मध्य ही मनुष्य बचाया जा सकता है" (अंश)



सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "केवल परमेश्वर के प्रबंधन के मध्य ही मनुष्य बचाया जा सकता है" (अंश)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "इस विशाल ब्रह्मांड में ऐसे कितने प्राणी हैं जो सृष्टि के नियम का बार-बार पालन करते हुए, एक ही निरंतर नियम पर चल रहे हैं और प्रजनन कार्य में लगे हैं। जो लोग मर जाते हैं वे जीवितों की कहानियों को अपने साथ ले जाते हैं और जो जीवित हैं वे मरे हुओं के वही त्रासदीपूर्ण इतिहास को दोहराते रहते हैं। मानवजाति बेबसी में स्वयं से पूछती हैः हम क्यों जीवित हैं? और हमें करना क्यों पडता है? यह संसार किसके आदेश पर चलता है? मानवजाति को किसने रचा है? क्या वास्तव में मानवजाति प्रकृति के द्वारा ही रची गई है? क्या मानवजाति वास्तव में स्वयं के भाग्य के नियंत्रण में है?...हज़ारों सालों से मानवजाति ने बार-बार ये प्रश्न किए हैं। दुर्भाग्य से, मानवजाति जितना अधिक इन प्रश्नों के जूनून से घिरती गई, विज्ञान के लिए उसके भीतर उतनी ही अधिक प्यास उत्पन्न होती गई है।

9.7.19

5.देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं।

अध्याय 5 तुम्हें परमेश्वर के देहधारण के बारे में सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए

5.देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
देहधारण का महत्व यह है कि वह साधारण, सामान्य मनुष्य परमेश्वर स्वयं के कार्यों को करता है; अर्थात्, कि परमेश्वर अपने दिव्य कार्य को मानवता में करता है और उसके द्वारा शैतान को परास्त करता है। देहधारण का अर्थ है कि परमेश्वर का आत्मा देह बन जाता है, अर्थात्, परमेश्वर देह बन जाता है; जो कार्य वह देह में करता है वह पवित्रात्मा का कार्य होता है, जो देह में प्राप्त होता है, देह द्वारा अभिव्यक्त होता है। परमेश्वर को छोड़कर कोई भी अन्य देहधारी परमेश्वर की सेवकाई को पूर्ण नहीं कर सकता है; अर्थात्, केवल परमेश्वर की देहधारी देह, यह सामान्य मानवता—और कोई अन्य नहीं—दिव्य कार्य को व्यक्त कर सकता है। यदि, उसके पहले आगमन के दौरान, उनतीस वर्ष की उम्र से पहले परमेश्वर में सामान्य मानवता नहीं होती—यदि जैसे ही उसने जन्म लिया था वह अचम्भे कर सकता, यदि जैसे ही उसने बोलना आरम्भ किया वह स्वर्ग की भाषा बोल सकता, यदि जिस क्षण उसने सबसे पहले पृथ्वी पर कदम रखा वह सभी संसारिक मामलों को समझ सकता, हर व्यक्ति के विचारों और इरादों को समझ सकता—तो वह एक सामान्य मनुष्य नहीं कहलाया जा सकता था, और उसकी देह मानवीय देह नहीं कहलायी जा सकती थी।

8.7.19

तुलना से परे है राज्य के राजा की महिमामय मुखाकृति



Hindi Christian Song 2019 | तुलना से परे है राज्य के राजा की महिमामय मुखाकृति


नई शुरूआत की है परमेश्वर ने धरती पर, गौरवान्वित हुआ है वो धरती पर। आख़िरी ख़ूबसूरत नज़ारे की वजह से, व्यक्त करता है परमेश्वर अपने दिल का जुनून। उसके दिल की लय का अनुसरण करके, नाचते हैं जल-स्रोत, कूदते हैं पर्वत, चट्टानों से टकराती हैं लहरें।

7.7.19

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है"(अंश III)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है"(अंश III)



     सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "जैसे-जैसे रात बढ़ती है, मनुष्य अनजान बना रहता है, क्योंकि मनुष्य का हृदय यह नहीं जान पाता कि अंधकार कैसे बढ़ता है और कहां से यह आता है। जैसे चुपचाप रात ढल जाती है, मनुष्य दिन के उजियाले का स्वागत करता है, फिर भी मनुष्य का हृदय बहुत ही कम स्पष्ट या अवगत होता है कि यह उजियाला कहां से और कैसे आया, और इसने रात के अंधियारे को कैसे दूर कर दिया। इस प्रकार के दिन और रात के सतत बदलाव मनुष्य को एक अवधि से दूसरी अवधि में लेकर जाते हैं, समय के साथ आगे बढ़ते हैं, जबकि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि सभी समय और अवधि के दौरान परमेश्वर के कार्य और उसकी योजनाएं पूरी होती रहें। मनुष्य सदियों से परमेश्वर के साथ चलता आया है, फिर भी मनुष्य नहीं जानता है कि परमेश्वर सभी बातों पर, जीवित प्राणियों के भाग्य पर शासन करता है या सभी बातों को परमेश्वर किस प्रकार से आयोजित या निर्देशित करता है।

6.7.19

"बदलाव की घड़ी" क्लिप 2 - स्वर्ग के राज्य में आरोहित होने का एकमात्र मार्ग



Hindi Christian Movie "बदलाव की घड़ी" क्लिप 2 - स्वर्ग के राज्य में आरोहित होने का एकमात्र मार्ग


कुछ लोग मानते हैं कि चूंकि परमेश्वर ने केवल एक वचन से स्वर्ग और पृथ्वी और हर चीज़ का सृजन किया, और केवल एक वचन से मरे हुओं को ज़िंदा कर दिया, इसलिए अंत के दिनों में जब प्रभु लौटेंगे, तो वे तत्क्षण हमारी छवियां बदल कर, हमें पवित्र बना कर, प्रभु से मिलाने के लिए हमें आकाश में उठा लेंगे। क्या स्वर्ग के राज्य में उठाया जाना ऐसे ही होता है? क्या अंत के दिनों में परमेश्वर के लौटने का कार्य इतना सरल है जितनी हम कल्पना करते हैं? परमेश्वर कहते हैं: "और मामलों को अतिसरल नहीं समझना चाहिये। परमेश्वर का कार्य किसी साधारण कार्य के समान नहीं है, मनुष्य का मन उसके अद्भुत स्वरूप को आत्मसात नहीं कर सकता, और न उसमें निहित बुद्धि को प्राप्त कर सकता है।

5.7.19

4.भ्रष्ट मानवजाति को देह धारण किए हुए परमेश्वर के उद्धार की अत्यधिक आवश्यकता है


अध्याय 5 तुम्हें परमेश्वर के देहधारण के बारे में सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए

स-र्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसियाभ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है

4.भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है
(परमेश्वर के वचन का चुना गया अवतरण)
भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है
परमेश्वर देहधारी इसलिए बना क्योंकि उसके कार्य का लक्ष्य शैतान की आत्मा, या कोई अभौतिक चीज़ नहीं, बल्कि मनुष्य है, जो माँस से बना है और जिसे शैतान के द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया है। ऐसा निश्चित रूप से मनुष्य की देह को भ्रष्ट कर देने की वजह से है कि परमेश्वर ने हाड़-माँस के मनुष्य को अपने कार्य का लक्ष्य बनाया है; इसके अतिरिक्त, क्योंकि मनुष्य भ्रष्टता का लक्ष्य है, इसलिए उसने उद्धार के अपने कार्य के समस्त चरणों के दौरान मनुष्य को अपने कार्य का एकमात्र लक्ष्य बनाया है। मनुष्य एक नश्वर प्राणी है, और वह हाड़-माँस तथा लहू से बना है, और एकमात्र परमेश्वर ही है जो मनुष्य को बचा सकता है। इस तरह से, परमेश्वर को अपना कार्य करने के लिए ऐसा देह बनना होगा जो मनुष्य के समान ही गुणों को धारण करता हो, ताकि उसका कार्य बेहतर प्रभावों को प्राप्त कर सके। परमेश्वर को अपने कार्य को ठीक तरह से करने के लिए निश्चित रूप से इसलिए देहधारण करना होगा क्योंकि मनुष्य हाड़-माँस से बना है, और पाप पर विजय पाने में या स्वयं को शरीर से वंचित करने में अक्षम है।

2.7.19

स्वर्गिक राज्य की प्रजा


Hindi Christian Movie | स्वर्गिक राज्य की प्रजा | Be an Honest Man and Testify to God


प्रभु यीशु ने कहा, "मैं तुम से सच कहता हूँ कि जब तक तुम न फिरो और बालकों के समान न बनो , तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे" (मत्ती 18:3)।प्रभुयीशुने हमें बताया कि केवल ईमानदार लोग ही स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं; केवल ईमानदार लोग ही राज्य की प्रजा हो सकते हैं। यह फ़िल्म ईसाई चेंग नूओ के परमेश्वर के कार्य का अनुभव करने और जीवन में एक ईमानदार इंसान बनने के संघर्ष की कहानी कहती है।

1.7.19

स्वर्गिक राज्य की प्रजा


Hindi Christian Movie Trailer | स्वर्गिक राज्य की प्रजा | Be an Honest Man and Testify to God


प्रभु यीशु ने कहा, "मैं तुम से सच कहता हूँ कि जब तक तुम न फिरो और बालकों के समान न बनो , तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे" (मत्ती 18:3)। प्रभु यीशु ने हमें बताया कि केवल ईमानदार लोग ही स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं; केवल ईमानदार लोग ही राज्य की प्रजा हो सकते हैं। यह फ़िल्म ईसाई चेंग नूओ के परमेश्वर के कार्य का अनुभव करने और जीवन में एक ईमानदार इंसान बनने के संघर्ष की कहानी कहती है।

30.6.19

3. देहधारी परमेश्वर के कार्य और पवित्रात्मा के कार्य के बीच में क्या अंतर है?

अध्याय 5 तुम्हें परमेश्वर के देहधारण के बारे में सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए

3. देहधारी परमेश्वर के कार्य और पवित्रात्मा के कार्य के बीच में क्या अंतर है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि देह में किए गए परमेश्वर के कार्य में अनेक अकल्पनीय मुश्किलें शामिल होती हैं, फिर भी वे प्रभाव जिन्हें वह अंततः हासिल करता है वे उन कार्यों से कहीं बढ़कर होते हैं जिन्हें आत्मा के द्वारा सीधे तौर पर किया जाता है। देह के कार्य में काफी कठिनाईयां साथ में जुड़ी होती हैं, और देह आत्मा के समान वैसी ही बड़ी पहचान को धारण नहीं कर सकता है, और आत्मा के समान उन्हीं अलौकिक कार्यों को क्रियान्वित नहीं कर सकता है, और वह आत्मा के समान उसी अधिकार को तो बिलकुल भी धारण नहीं कर सकता है। फिर भी इस साधारण देह के द्वारा किए गए कार्य का मूल-तत्व आत्मा के द्वारा सीधे तौर पर किए गए कार्य से कहीं अधिक श्रेष्ठ है, और यह देह स्वयं ही मनुष्य की समस्त आवश्यकताओं का उत्तर है।

29.6.19

बेहद दयालु और अत्यंत क्रोधी है परमेश्वर


Hindi Christian Song | बेहद दयालु और अत्यंत क्रोधी है परमेश्वर | Praise God's Righteous Disposition


परमेश्वर की दया और उसके क्रोध का अस्तित्व है, ये कितना असली, कितना सच्चा है, मगर जब अपने क्रोध को वो बेलगाम करता है, तो उसकी पवित्रता और धार्मिकता इंसान को परमेश्वर का वो पहलू भी दिखाते हैं जो अपमान सहन नहीं करता।

28.6.19

Hindi Christian Crosstalk | बाइबिल से परे जाना | Can We Gain Eternal Life by Clinging to the Bible?


Hindi Christian Crosstalk | बाइबिल से परे जाना | Can We Gain Eternal Life by Clinging to the 

Bible?


शियांग यांग एक गृह कलीसिया में काम करता है, और बहुत से दूसरे धार्मिक विश्वासियों की तरह, वह भी यही सोचता है कि परमेश्वर के सारे वचन और कार्य बाइबल में हैं, प्रभु में विश्वास रखने का अर्थ है बाइबल में विश्वास रखना, बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व करती है, अगर वह बाइबल के अनुसार चलेगा, तो वह स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करके अनंत जीवन प्राप्त कर लेगा। लेकिन इस दृष्टिकोण को लेकर भाई झांग यी के मन में संदेह है। दोनों में एक हल्की-फुल्की बहस छिड़ जाती है: क्या परमेश्वर के सारे वचन और कार्य सचमुच बाइबल में हैं?

27.6.19

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर और मनुष्य एक साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे" (भाग दो)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर और मनुष्य एक साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे" (भाग दो)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर ने मानवजाति का सृजन किया, उसे पृथ्वी पर रखा, और उसकी आज के दिन तक अगुआई की। उसने तब मानवजाति को बचाया और मानवजाति के लिये पापबली के रूप में कार्य किया। अंत में उसे अभी भी अवश्य मानवजाति को जीतना चाहिए, मानवजाति को पूर्णतः बचाना चाहिए और उसे उसकी मूल समानता में पुनर्स्थापित करना चाहिए। यही वह कार्य है जिसमें वह आरंभ से लेकर अंत तक संलग्न रहा है—मनुष्य को उसकी मूल छवि में और उसकी मूल समानता में पुनर्स्थापित करना। वह अपना राज्य स्थापित करेगा और मनुष्य की मूल समानता पुनर्स्थापित करेगा, जिसका अर्थ है कि वह पृथ्वी पर अपने अधिकार को पुनर्स्थापित करेगा, और समस्त प्राणियों के बीच अपने अधिकार को पुर्नस्थापित करेगा।

प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए एक अति महत्वपूर्ण कदम

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